IIT Baba at Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 मेले में शामिल साधु संत अपने विशिष्ट व्यक्तित्व को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनमें से एक है अभय सिंह उर्फ आईआईटियन बाबा। जिन्हें इंजीनियर बाबा के नाम से भी पहचाना जा रहा है। कुछ लोगों ने दावा किया है कि प्यार में धोखा मिलने के बाद अभय सिंह बाबा बन गए। मगर उनके पिता का एक वीडियो सामने आया है। जिसने अभय सिंह का पूरा चिट्ठा खोलकर रख दिया है।
कौन है महाकुंभ मेले के आईआईटियन बाबा
आईआईटियन बाबा के नाम से मशहूर इस युवा साधु का मूल नाम अभय सिंह है। जो हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम करण ग्रेवाल है। अभय सिंह कहते हैं कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री की हुई है। उन्हें एक कंपनी में लाखों रुपए की सैलरी पैकेज के साथ नौकरी भी मिली थी। मगर वह उन्हें पसंद नहीं आई।
उन्होंने दुनिया की मोह माया को त्यागकर आध्यात्मिकता को चुना है। अभय सिंह जिस अंदाज में बात करता है। उसे देखकर लगता है कि वह लाखों की सैलरी और सुख सुविधाओं से पूर्ण जीवन को त्याग कर साधु जीवन में खुश है।
अभय सिंह कहता है कि “जब मैं विदेश से वापस भारत लौटा तो मैं सद्गुरु के आश्रम पहुंच गया। जहां मैंने 9 महीने तक सेवा की। क्रिया, ध्यान और योग में डूबा रहा। यह सब कुछ वहीं से सीखा। 2021 में वहां से बाहर निकालने के बाद से ही महादेव मुझे दिशा निर्देश देने लगे कि अब जीवन में क्या करना है।”
अभय आगे कहता है कि मैं ईश्वर की शरण में तो पहुंच गया हूँ। अब यह डिसाइड होगा कि जीवन में आगे क्या और कैसे करना होगा। जिस वस्तु को हम धर्म और सत्य कहते हैं। उसे इस संसार में वापस लाना होगा.
आईआईटियन बाबा के पिता का वीडियो आया सामने
जब अभय सिंह के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए तो उनके पिता ने उन्हें वापस घर लौटने का आग्रह किया। अभय सिंह के पिता इंटरव्यू में बताते हैं कि अभय सिंह पढ़ाई में काफी अच्छा था। उसने आईआईटी की है। फिजिक्स पढ़ाया है। डिजाइनिंग सीखी और काफी समय तक फोटोग्राफी से जुड़ा काम भी किया है।
जब उसका मन नहीं लगा तो उसकी बहन ने उसे कनाडा बुलाकर संभालने की नाकाम कोशिश भी की थी। वहां से वापस लौटने के बाद वह धार्मिक स्थलों पर भ्रमण करने लगा और साधु जीवन को अपना लिया। इसके बाद उसने परिवार से भी संपर्क तोड़ लिया।
पुराने आंकड़ों को देखें तो कुंभ मेले में हजारों युवा आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक समस्याओं से तंग आकर साधु जीवन को गले लगा लेते हैं। साल 2013 के महाकुंभ मेले में लगभग 10,000 युवा साधु बन गए थे। जिनमें से ज्यादातर युवा आईआईटी और एमबीबीएस जैसी बड़ी शिक्षा डिग्रियों की हुई थी।