Repo Rate Cut News: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए रेपो दर में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है, जिससे यह अब घटकर 5.5% हो गई है। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस निर्णय की घोषणा आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। उनका कहना है कि यह कदम मौजूदा आर्थिक चुनौतियों से निपटने और देश की आर्थिक प्रगति को गति देने के लिए उठाया गया है।
रेपो दर क्या होती है? (What is Repo Rate)
रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर बैंक RBI से अल्पकालिक ऋण लेते हैं। जब RBI रेपो दर घटाता है, तो बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है, जिससे वे ग्राहकों को कम ब्याज दर पर ऋण दे सकते हैं। इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ताओं और व्यवसायों को होता है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
RBI ने यह निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया है। महामारी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था रिकवरी के दौर से गुजर रही है और वैश्विक अनिश्चितताएं, जैसे कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और विदेशी बाजारों की अस्थिरता, भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।
RBI का उद्देश्य
RBI अपने दोहरे उद्देश्य – मूल्य स्थिरता बनाए रखना और आर्थिक विकास को समर्थन देना – के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। यह निर्णय रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934 के तहत उसके कर्तव्यों के अनुरूप है, जिसे वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित किया गया है।
आम जनता पर क्या होगा असर?
- घरेलू लोन होंगे सस्ते: होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में गिरावट आ सकती है।
- बिजनेस को राहत: कम ब्याज दरों से उद्योगों को सस्ती पूंजी मिलेगी, जिससे निवेश बढ़ेगा।
- बढ़ेगी खपत: उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में तेजी आ सकती है क्योंकि उपभोक्ताओं के लिए EMI का बोझ कम होगा।
कौन-कौन से सेक्टर होंगे लाभान्वित?
- रियल एस्टेट: सस्ते होम लोन से फ्लैट और घरों की बिक्री बढ़ सकती है।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर: कम ब्याज दर पर वाहन खरीदने के कारण बिक्री में तेजी आ सकती है।
- एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स: उपभोक्ता मांग में बढ़ोतरी से इन क्षेत्रों को फायदा होगा।
चुनौतियाँ क्या हैं?
हालांकि यह कदम उत्साहजनक है, लेकिन अत्यधिक उधारी से बैंकिंग सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है। साथ ही अगर मांग बहुत तेज़ी से बढ़ी, तो मुद्रास्फीति पर दोबारा दबाव बन सकता है।
निष्कर्ष
RBI द्वारा रेपो दर में कटौती एक रणनीतिक और समयानुकूल निर्णय है, जिसका उद्देश्य है देश की आर्थिक मशीनरी को एक नई गति देना। इससे न केवल बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ेगी, बल्कि आम जनता को भी राहत मिलेगी। अब देखना होगा कि यह कदम ज़मीनी स्तर पर कितनी जल्दी और प्रभावी रूप से असर दिखाता है।