होर्मुज स्ट्रेट को क्यों बंद करना चाहता है ईरान? जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

By: महेश चौधरी

Last Update: June 24, 2025 10:52 AM

Strait of Hormuz
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ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के दौरान अमेरिका द्वारा की गई कार्यवाही के बाद अब ईरान की संसद ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने का फैसला लिया है। जो दुनिया के सबसे अहम तेल व्यापारिक मार्ग में से एक है। ईरान की इस कार्यवाही के बाद वैश्विक बाजारों में भी हलचल मच गई है। चलिए जानते हैं होर्मुज स्ट्रेट क्या है और होर्मुज स्ट्रेट बंद होने से दुनिया पर क्या असर पड़ेगा।

क्या वाकई बंद हो सकता है हॉर्मुज स्ट्रेट?

हालही ईरान की संसद ने एक बड़ा फैसला लेते हुए होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दे दी है। यह कदम अमेरिका द्वारा ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट्स पर किए गए हमलों के बाद उठाया गया है। अब ईरान सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर अमेरिका और इज़राइल की ओर से सैन्य कार्रवाई होती है, तो उसके पास इस रणनीतिक रास्ते को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। संसद में भारी बहुमत से पारित इस फैसले के बाद अब ईरान की नौसेना और रक्षा बलों को इस दिशा में कार्रवाई की पूरी छूट मिल गई है।

हालाँकि अमेरिका इस फैसले से खासा परेशान दिख रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को यह कदम उठाने से रोके। हालांकि, चीन की तरफ से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। 

इस रास्ते से गुजरता है दुनिया का 30% तेल, अब ईरान बोला– बंद कर

होर्मुज स्ट्रेट एक बेहद संकरी समुद्री पट्टी है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ती है। यह स्ट्रेट ईरान और ओमान की समुद्री सीमा के बीच स्थित है और इसकी चौड़ाई कुछ जगहों पर 33 किलोमीटर तक है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, दुनिया की लगभग 25 से 30 प्रतिशत तेल आपूर्ति इसी रास्ते से होती है। सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, और यूएई जैसे खाड़ी देशों से निर्यात होने वाला क्रूड ऑयल और कतर जैसी गैस निर्यातक देशों की लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का एक बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से होकर दुनिया भर में पहुंचता है। यह सिर्फ तेल और गैस का ही रास्ता नहीं है, बल्कि समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा भी इसी स्ट्रेट से होकर गुजरता है। 

तेल की कीमतों पर पड़ेगा असर

अगर ईरान वाकई होर्मुज स्ट्रेट बंद कर देता है तो इसका सीधा असर दुनिया की तेल आपूर्ति पर पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें $120–130 प्रति बैरल तक जा सकती हैं। इससे न सिर्फ पेट्रोल-डीज़ल महंगे होंगे, बल्कि शिपिंग खर्च बढ़ने से सभी चीजों की कीमत भी बढ़ सकती है। जिनके आयात-निर्यात इस रस्ते से होते हैं।