सनातन धर्म या हिंदू धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। जिसका केंद्र बिंदु भारत है। मगर समय के साथ दूसरे धर्मों की बढ़ती जनसंख्या और हिंदुओं की घटती जनसंख्या ने हिंदुओं के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि दुनिया में हिंदुओं की आबादी कितनी बची है? क्या हिंदू दुनिया से खत्म हो जाएंगे? दुनिया के कौन से देशों में सबसे ज्यादा हिंदू रहते हैं? चलिए तमाम सवालों पर विस्तार से जानकारी देते हैं।
दुनिया में हिंदुओं की आबादी कितनी है
हिंदू धर्म केवल एक आस्था नहीं बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही एक सभ्यता है। जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। लेकिन आज हिंदू पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। वेद, उपनिषद योग, कर्म और पुनर्जन जैसे अवधारणाएं हिंदू धर्म की पहचान हैं।
Pew research center की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में हिंदुओं की कुल आबादी लगभग 120 से 125 करोड़ है। जो पूरी दुनिया की कुल आबादी का लगभग 15 से 16% हिस्सा बनता है। इनमें से भी 95% हिंदू केवल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ही रहते हैं। जबकि भारत में पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा हिंदू रहते हैं। यही वजह है कि हिंदू धर्म का वैश्विक केंद्र भारत को ही माना जाता है।
सबसे ज्यादा हिंदुओं वाले देश
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हिंदू भारत में रहते हैं, जो साल 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 96.63 करोड़ है। भारत के बाद नेपाल दूसरा देश है, जहाँ सबसे ज्यादा हिंदू रहते हैं। यहां हिंदुओं की कुल जनसंख्या साल 2021 के मुताबिक 2.36 करोड़ है। जो नेपाल की कुल आबादी का 81.19% है। इसके बाद बांग्लादेश में 1.31 करोड़ (2022) हिंदू रहते हैं, जो बांग्लादेश की कुल आबादी का 7.95% है।
| देश | हिंदू जनसंख्या (लगभग) | कुल जनसंख्या में प्रतिशत |
|---|---|---|
| भारत | 96.63 करोड़ (2011 Census) | 79.8% |
| नेपाल | 2.36 करोड़ (2021 Census) | 81.19% |
| बांग्लादेश | 1.31 करोड़ (2022 Census) | 7.95% |
| पाकिस्तान | 40–45 लाख (Official Estimates) | ~1.9% |
| मॉरीशस | 6.2 लाख (2022 Census) | 47.87% |
पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही है। आजादी के वक्त पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 21% थी, जो अब घटकर 1.9% करीब 40 से 45 लाख रह गई है। इनके बाद हिंदुओं की आबादी वाला एक और देश है। जहाँ 47.87 प्रतिशत आबादी केवल हिंदुओं की है। यह देश मॉरीशस है, यहाँ करीब 6.2 लाख हिंदू रहते हैं।
भारत से खत्म हो रहे हैं हिंदू: भारत में जनगणना का काम Office of the Registrar General & Census Commissioner of India द्वारा किया जाता है। जो गृह मंत्रालय के दायरे में आता है। भारत में अंतिम बार जनगणना साल 2011 में की गई थी। जिसे 2025 तक वैध माना जाता है। साल 2011 के मुताबिक भारत में 79.8 प्रतिशत हिंदू आबादी थी, जो 2001 के मुकाबले घट रही थी। 2001 से 2011 के बीच हिंदू आबादी 16.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। जबकि मुस्लिम आबादी 24.6 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी।
यानी 2025 में अनुमान लगाया जाए तो भारत में हिंदुओं की आबादी करीब 60% से 65% बची होगी। हिंदुओं की लगातार घटती जनसंख्या इस बात की ओर संकेत करती है कि 2050 तक हिंदुओं की आबादी मुसलमानों की तुलना में नाममात्र रह सकती है। जिस तरह पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या नाममात्र बची है, वैसा ही हाल भारत में भी हो सकता है।
असम सहित इन राज्यों की बदली डेमोक्रेटिक स्थिति
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा ने भी हिंदुओं की घटती जनसंख्या के मुद्दे पर पूरा जोर दिया है। हाल ही में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में असम की डेमोग्राफी पूरी तरह से बदल गई है। जहां पहले बहुत कम मुस्लिम थे, वहाँ कुछ ही दशक में 34.5% तक अपना दायरा बढ़ा चुके हैं। जो हिंदुओं के अस्तित्व पर लटकती तलवार है। इनके अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, केरल, जम्मू कश्मीर और लक्षद्वीप जैसे राज्यों में भी मुसलमानों की आबादी लगातार बढ़ रही है। देश के कई राज्य मुस्लिम बहुसंख्यक हो चुके हैं। कई तहसीलें तो ऐसी है जहाँ 100% मुस्लिम आबादी रहती हैं।
भविष्य में इसके क्या नुकसान हो सकते हैं?
अगर हिंदुओं की घटती आबादी का ट्रेंड इसी तरह जारी रहा तो आने वाले कुछ दशक में ही हिंदू अल्पसंख्यक श्रेणी में आ जाएंगे और इसके कुछ दशकों बाद तो किताबों में ही समा जाएंगे। अगर सच में ऐसी स्थिति होती है तो इससे दुनिया को भी बड़ा नुकसान होगा। मंदिर, त्योहार, भाषा और स्थानीय परंपराएं धीरे-धीरे खत्म होती जाएंगी। सामाजिक संतुलन बिगड़ने के साथ-साथ आर्थिक (व्यापार) और क्षेत्रीय राजनीति पर भी इसका सीधे रूप से असर पड़ेगा।
Pew research की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2050 तक हिंदुओं की वैश्विक संख्या बढ़ सकती है। लेकिन उनका भौगोलिक दायरा और सीमित हो जाएगा। यानी हिंदू कुछ ही देशों में सिमट कर रह जाएंगे।







