जब प्रदूषण बढ़ता है, तो हम चेहरे पर मास्क लगा लेते हैं और सोचते हैं हम बच गए हैं। क्योंकि हम प्रदूषण को सिर्फ खांसी, एलर्जी और सांस की बीमारी से जोड़कर देखते हैं। लेकिन डॉक्टरों ने अब जिस खतरे की घंटी बजाई है, वह आपके फेफड़ों के लिए नहीं बल्कि आपकी आने वाली पीढ़ी के लिए है। यह खतरा चुपचाप बिना आवाज के, आपके शरीर में घुसकर आपके परिवार बसाने के सपनों को भी खत्म करने का काम कर रहा है।
आज दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हवा सिर्फ सांस लेने में दिक्कत नहीं दे रही, बल्कि मां-बाप बनने की उम्मीदों को भी खोखला कर रही है। जी हां, दिल्ली की दमघोंटू हवा अब पुरुषों की ताकत और महिलाओं की मां बनने की क्षमता पर अटैक कर रही है। जिसके कारण लोगों का माता-पिता बनने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। khabardaari.com कि आज की रिपोर्ट में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे। चलिए शुरू करते हैं।
साइंस क्या कहता है?
दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण से तो हर कोई वाकिब है। मगर उसके अंदरूनी अटैक से रूबरू होना भी उतना ही जरूरी है जितना जरूरी एक इंसान के लिए ऑक्सीजन है। बातों को घुमा-फिराकर बताने से बेहतर है कि हम सीधे मुद्दे पर आएं।। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से अब सिर्फ सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी, बल्कि पुरुष को पिता बनने और महिला को मां बनने में भी बड़ी दिक्कत हो सकती है। इसके कई कारण हैं…
खून में घुल रहा है जहर (PM 2.5)
हवा में मौजूद PM2.5 के कण इतने बारीक होते हैं कि इन्हें हमारे मुंह पर लगा मास्क भी नहीं रोक पाता। यह कण सीधे हमारे फेफड़ों तक पहुंचते हैं और वहीं जमा होना शुरू हो जाते हैं। फिर यह कण हमारे खून में घुलकर हमारे रिप्रोडक्टिव सिस्टम और शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंच जाते हैं। PM 2.5 के कण रिप्रोडक्टिव सिस्टम को कमजोर करते हैं। इस तरह यह जहरीली हवा लोगों से माता-पिता बनने का सपना भी छीन रही है।
पुरुषों पर सबसे ज्यादा असर
पुरुष महिलाओं की तुलना में घर से बाहर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं। फिर चाहे बिजनेस हो, जॉब हो या मार्केट से सामान लाना हो। हर बार पुरुष ही बाहरी वातावरण में कदम रखते हैं। जिसके कारण यह जहरीली हवा पुरुषों के ज्यादा संपर्क में आती है। जिसकी वजह से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जिसका सीधा असर स्पर्म की क्वालिटी और संख्या पर पड़ता है। यही कारण है कि मेट्रो शहरों में आईवीएफ सेंटर की संख्या और वहां लगने वाली भीड़ लगातार बढ़ रही है।
महिलाओं का भी माँ बनने का सपना टूट रहा
PM 2.5 कण केवल पुरुषों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी प्रभावित कर रहे हैं। दिल्ली की जहरीली हवा महिलाओं के हार्मोन का बैलेंस बिगाड़ रही है। जिससे पीरियड्स अनियमित हो रहे हैं। गर्भधारण में भी दिक्कत आ रही है। कुछ मामलों में तो मिसकैरेज (गर्भपात) का खतरा भी बढ़ जाता है। सोचिए, एक महिला जो मां बनने का सपना देख रही थी, मगर उसका यह सपना कभी पूरा नहीं हो सका। वजह यह जहरीली हवा।
5 सालों की रिपोर्ट में क्या मिला ?
नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी की ओर से एक शोध किया गया था। यह शोध करीब 5 साल तक तक हुआ। इस रिसर्च में पाया कि PM 2.5 महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। घर पर रहने वाली महिलाएं पुरुषों की तुलना में 1.4 गुना सुरक्षित रहती हैं। इस रिसर्च में पुरुषों की उम्र, चलने की गति और नौकरी करने के क्षेत्र के आधार पर भी आंकड़े एकत्रित किए गए थे।
इंडस्ट्रियल एरिया में रहने और काम करने वाले महिला-पुरुष सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडस्ट्रियल एरिया या ज्यादा प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहने वाले महिला पुरुष की इनफर्टिलिटी रेट करीब 30% तक बढ़ जाती है। यह आंकड़ा बेशक बहुत ज्यादा नहीं है। मगर इसे पूरी दिल्ली की आबादी के हिसाब से देखा जाए तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा संकट है।
कैसे होगा प्रदूषण से सामना (निष्कर्ष)
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखकर हर कोई प्रदूषण को लेकर चिंता जरूर जता रहा है। मगर समय रहते अगर सही फैसले लिए जाएं तो प्रदूषण का संकट आसानी से टाला जा सकता है। लोगों को जागरूक करना होगा कि वे कम से कम पेट्रोल डीजल वाले व्हीकल का इस्तेमाल करें और इलेक्ट्रिक या सीएनजी व्हीकल्स की ओर कदम बढ़ाएं। हर व्यक्ति को कम से कम हर साल एक पौधा लगाना चाहिए। साथ ही अपने घर/बालकनी में भी छोटे पौधे लगा सकते हैं। जिससे सजावट होने के साथ-साथ प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।
खाने पीने का भी विशेष रूप से ध्यान रखना होगा। खाने में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन-सी से भरपूर फलों को शामिल करें। अगर संभव हो तो सुबह जल्दी साफ हवा में टहलें। सुबह की हवा सबसे शुद्ध मानी जाती है।







