Economic Survey 2025: भारतीय संसद के बजट सत्र 2025-26 की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनामिक सर्वे) पेश करने के साथ हुई है। यह सर्वेक्षण भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरा हाल बताता है। जिसमें देश की जीडीपी ग्रोथ, महंगाई परिवर्तन और विदेशी निवेश की स्थिति का विवरण होता है। आसान भाषा में इकोनामिक सर्वे एक ऐसा रिपोर्ट कार्ड है, जिसमें पिछले बजट का पूरा लेखा-जोखा होता है।
इकोनॉमिक सर्वे 2025
यूनियन बजट 2025 पेश होने में अब कुछ ही घंटे शेष है। लेकिन इससे पहले आज संसद में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किए गए हैं। जिनमें इकोनामिक सर्वे सबसे खास है। यह एक प्रकार से सरकार के पिछले बजट का लेखा-जोखा होता है। जिसमें देश की आर्थिक स्थिति और अन्य कई कारकों की रिपोर्ट होती है। इस सर्वे रिपोर्ट से यह जानकारी मिलती है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और अन्य व्यापारी क्षेत्र में किस तरह का ट्रेंड चल रहा है और आने वाले समय में किन-किन चुनौतियों का सामना करना होगा।
राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों का संबोधन करते हुए इस बजट सत्र की औपचारिक शुरुआत कि है। राजनीतिक दलों और मीडिया ने भी इकोनॉमिक सर्वे को लेकर अपनी राय रखी है। अब सभी की नज़रें बजट पर टिकी हुई हैं।
इकोनॉमिक सर्वे में क्या होता है
इकोनॉमिक सर्वे दो भागों में बंटा होता है। जिसके पहले भाग में इकोनॉमिक प्रदर्शन का आकलन और दूसरे भाग में देश के गरीबी, शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों का समावेश होता है। जिसके आधार पर जीडीपी ग्रोथ, महंगाई दर और व्यापार आदि का अनुमान लगाया जाता है। इकोनॉमिक सर्वे हमेशा ही बजट पेश होने से ठीक पहले पेश किया जाता है। जो एक तरह से बजट की झलक भी होती है। बजट में क्या कुछ होगा इसका अनुमान इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर लग जाता है।
इकोनॉमिक सर्वे को डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के इकोनॉमिक डिविजन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर की देखरेख में तैयार किया जाता है. देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था। हालाँकि उस समय इकोनॉमिक सर्वे भी बजट का ही हिस्सा होता था. मगर आगे चलकर इसके बजट से अलग कर दिया गया. जिसे वित्त मंत्री के हाथों संसद में पेश किया जाता है.