दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। हालही में कथित शराब घोटाले में गृह मंत्रालय ने अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए ED को मंजूरी दे दी है। इसके बाद अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की टेंशन बढ़ गई है। मामले में दोनों पर मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वतखोरी के आरोप है। जो साल 2022 से ही राजनीतिक गलियारों में मुद्दा बने हुए हैं।
ED को मिली अरविन्द केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी
2024 में अरविंद केजरीवाल को ED द्वारा कथित शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी कि उन पर ED द्वारा लगाई गई चार्जशीट पूरी तरह से अवैध है। जिसे स्वीकारने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि किसी भी सरकारी कर्मचारी पर मुकदमा चलाने से पहले ED को गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी।
इसके बाद कुछ समय के लिए यह शराब घोटाला ठंडा पड़ गया था। मगर अब गृह मंत्रालय द्वारा ED को अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले अथवा साउथ ग्रुप से रिश्वत लेने के मामले में जांच करने की अनुमति दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ED को यह मामला नए एंगल से जांच करने के आदेश दिए हैं। एक बार फिर अरविंद केजरीवाल ED के पचेड़े में फंसते नजर आ रहे हैं। उनके साथ उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मुख्य आरोपी के तौर पर देखे जा रहे हैं।
क्या है केजरीवाल का शराब घोटाला
17 नवंबर 2021 को दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की गई थी। जिसके चलते शराब कारोबार सरकार के हाथों से निकलकर निजी हाथों में चला गया। और सरकार को लगभग 2026 करोड़ का घाटा लगा। इसके बाद 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इस नई नीति को रद्द कर दिया था।
मगर भाजपा ने CAG रिपोर्ट में इस घोटाले को लेकर दावा किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार के कई नेताओं ने कथित शराब घोटाले में करोड़ों रुपए की रिश्वत ले ली है और कोरोना महामारी का बहाना बनाकर लगभग 144.36 करोड़ की लाइसेंस फीस माफ करके अपने करीबियों और वित्तीय मदद कर्ताओं को लाभ पहुंचाया है। इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बताया जाता है।