Satyapal Malik News: 5 राज्यों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, जानिए उनका पूरा राजनीतिक सफर

By: महेश चौधरी

Last Update: August 5, 2025 12:50 PM

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Satyapal Malik News: राजनीतिक गलियारों से बुरी खबर आई है। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 78 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्होंने दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन की खबर ने पूरे देश में शोक की लहर ला दी है। चलिए विस्तार से जानते हैं।

सत्यपाल मलिक का निधन

मंगलवार दोपहर 1 बजे जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें गंभीर मूत्र मार्ग संक्रमण और किडनी फेल्यर जैसी समस्याओं के बाद 11 मई को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनके देहांत की खबर के बाद कई राजनेताओं ने ट्वीट कर दुःख जताया है।

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर 

सत्यपाल मलिक बागपत के हिसावदा गांव के रहने वाले हैं। जिन्होंने साल 1965 में राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी और 1966 में मेरठ कॉलेज के पहले छात्र संघ अध्यक्ष बने। 1974 में मलिक ने विधानसभा चुनाव लड़ा। लोक दल गठन के बाद उन्हें अखिल भारतीय महामंत्री के पद पर नियुक्त किया गया और 1980 में उन्हें लोक दल के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यसभा में भेजा गया। इसके बाद समय ने करवट बदली और 1984 में मलिक ने लोक दल छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली.

1986 में वे कांग्रेस कमेटी के महामंत्री नियुक्त किए गए। मगर 1987 में बोफोर्स घोटाले से नाराज होकर उन्होंने सदस्यता का त्याग कर जनमोर्चा में शामिल हो गए। इसके बाद 1988 से 1991 तक वे जनता दल के प्रवक्ता और सचिव बन रहे और इस बीच 1989 में जनता दल के टिकट से अलीगढ़ के सांसद भी बने थे।

आगे चलकर साल 2004 में मलिक ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया और बागपत लोकसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। उन्हें 2005-06 में यूपी बीजेपी ने उपाध्यक्ष बनाया और 2009 में भाजपा किसान मोर्चा के अखिल भारतीय प्रभारी का पदभार सौंपा गया। 

कई राज्यों में संभला राज्यपाल का पदभार 

सत्यपाल मलिक ने 4 अक्टूबर 2017 को बिहार में राज्यपाल का पदभार संभाला। इसके बाद 2018 में उन्हें जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। 23 अगस्त 2018 को वह जम्मू कश्मीर के दसवें और आखिरी राज्यपाल बने। उनके कार्यकाल में ही कश्मीर से धारा 370 हटाई गई और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। इसके बाद उन्हें गोवा का 18वाँ राज्यपाल बनाया गया और अक्टूबर 2022 में मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में भी मलिक ने सेवाएं दी। उनका लंबा राजनीतिक सफर उनकी निष्पक्ष राजनीति और साफ-सुथरी छवि को दर्शाता है।