ग्रीष्मा और शेरोन केस : तिरुवनंतपुरम अदालत ने 24 वर्षीय ग्रीष्मा को अपने प्रेमी शेरोन राज की हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है। ग्रीष्मा ने अंधविश्वास में आकर 14 अक्टूबर 2022 को शेरोन को आयुर्वेदिक दवा में जहर मिलाकर खिला दिया था। और उसकी मौत हो गई थी। 2 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ग्रीष्मा को फांसी की सजा सुनाई गई है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।
ग्रीष्मा को फांसी की सजा क्यों सुनाई गई (ग्रीष्मा और शेरोन केस)
शेरोन राज बीएससी रेडियोलॉजी की पढ़ाई कर रहा था। जिसकी मुलाकात कन्याकुमारी में एक निजी कॉलेज में पढ़ रही ग्रीष्मा से हुई। दोनों के बीच लगभग डेढ़ साल तक प्रेम संबंध चलता रहा। किसी ज्योतिषी ने ग्रीष्मा को लेकर भविष्यवाणी की थी कि उसके पहले पति की मौत हो जाएगी। जिसे ग्रीष्मा सच समझ बैठी। इसके बाद उसने अपने पहले पति (शेरोन और ग्रीष्मा ने चर्च में शादी की थी) को रास्ते से हटाकर दूसरे लड़के से शादी करके एक खुशहाल जीवन जीने की लालसा में शेरोन राज को आयुर्वेदिक टॉनिक जहर खिला दिया।
जिसके चलते शेरोन राज के शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया और और ईलाज के दौरान उसकी जान चली गई। इस अपराध में ग्रीष्मा की मां और चाचा भी शामिल थे। जिन्हें तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है।
मामले की मुख्य आरोपी ग्रीष्मा को इस रंगीन अपराध के लिए सजा ए-मौत सुनाई गई है। जो भारत के इतिहास में दूसरी महिला भी होगी, जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा।
कोर्ट ने दया याचिका ख़ारिज की
ग्रीष्मा ने अपनी शैक्षणिक उपलब्धियां, इससे पहले कोई आपराधिक रिकार्ड न होने और अपने माता-पिता की इकलौती संतान होने का हवाला देते हुए उसे सुनाई गई मौत की सजा में बदलाव करने की गुहार लगाई है। जिसके जवाब में अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए ग्रीष्मा को किसी भी तरह की रिहायत नहीं दी जाएगी। वही अदालत कक्ष में मौजूद शेरोन के माता-पिता का रो-रो कर