Gurugram Liquor Scam: गुरुग्राम शहर में मंगलवार को आबकारी विभाग और पुलिस की सयुक्त कार्रवाई ने एक बड़ा खुलासा किया है। सिग्नेचर टावर के पास स्थित एक गोदाम में करोड़ो रुपए की विदेशी ब्रांड की शराब जप्त की गई है। यह रैकेट लंबे समय से गैरकानूनी रूप से शराब की बिक्री कर रहा था। इस रैकेट का पर्दाफाश एक गुप्त सूचना के आधार पर हुआ। जिसने पूरे विभाग में हड़कंप मचा दी। चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
गुप्त सूचना पर छापा, विदेशी शराब की भारी खेप बरामद
आबकारी विभाग की टीम ने L-2 / L-14A स्थित एक गोदाम पर छापा मारा। जिसमें दो कमरों में छुपाकर रखे गए करीब 3921 केस और 176 बोतलें प्रीमियम आयातित शराब बरामद की गई। जप्त की गई शराब की बोतलों की कीमत ₹1500 से लेकर ₹200000 तक की बताई जा रही है। सबसे चौका देने वाली बात है कि इन बोतलों पर अनिवार्य होलोग्राम और ट्रेस स्ट्रिप्स नहीं थे। जो स्पष्ट रूप से अवैध शराब बिक्री की ओर इशारा करते हैं। यानी यह सभी शराब की बोतलें बगैर टैक्स चुकाए बिक्री की जा रही थी।
दुकान मालिक फरार, BYOB दुकान से जुड़े है सुराग
छापेमारी में पकड़ी गई शराब का कनेक्शन एक ऐसी दुकान से कनेक्ट होता है, जिनके पास लोकप्रिय BYOB (Bring Your Own Bottle) प्वाइंट ‘ईबोवला’ है. यहां लगभग 80 अलग-अलग प्रीमियम ब्रांड की शराब उपलब्ध कराई जाती है. जिनमें ब्लैक व्हाइट, ब्लैक लेबल, एब्सोल्यूट वोडका, डबल ब्लैक, बैलेन्टाइन्स, द सिंगलटन, द यामाजाकी, ग्लेनमोरेन्जी, रेपोसाडो 818 जैसे महंगे ब्रांड शामिल थे। शराब की दुकान पर एक्शन लेते ही मालिक फरार हो गया. जिसकी तलाश जारी है। इस छापेमारी की शुरुआत इसी दुकान से की गई थी. जिसने इसे बड़े रैकेट का खुलासा किया है।
विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
उप आबकारी और कराधान आयुक्त अमित भाटिया ने इस पूरी मामले की गहराई से जांच करने के लिए स्पेशल जांच कमेटी का गठन कर दिया है। यह दल पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों से मिलकर बनाया गया है। जिसकी कमान ACP रैंक के अधिकारी के हाथों में दी गई है। सरकार के नाक के नीचे अवैध गतिविधियां इतने लंबे समय से चल रही थी इसको लेकर भी विभाग को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है।
कार्रवाई के तुरंत बाद आबकारी निरीक्षक पवन शर्मा को निलंबित कर दिया गया है। जो इस बात की ओर भी संकेत करता है कि इस बड़े तस्करी नेटवर्क में विभाग के अधिकारियों का भी हाथ था। हालांकि फिलहाल किसी भी अधिकारी के इस रैकेट में शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है। जांच जारी है।
टैक्स चोरी से बड़ा नुकसान
शराब व्यवसाय से जुड़े अनुभवी कारोबारी विक्रम यादव ने भी इस पूरे रैकेट पर प्रतिक्रिया दी है। विक्रम यादव ने बताया कि गुरुग्राम में पहली बार इतनी भारी मात्रा में अवैध शराब जप्त की गई है। उनके अनुसार यह तस्करी नेटवर्क राज्य के खजाने को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा था। अगर इस पूरी शराब पर टैक्स चुकाने के बाद के आंकड़ों के बात करें तो यह एक मोटी रकम निकलकर सामने आती है।
प्रति शराब का डब्बा (12 बोतलें) टैक्स के बिना 7200 में बेची जा रही थी। जबकि सीमा शुल्क और उत्पादन शुल्क के बाद इन्हीं 12 बोतलों की कीमत 12000 तक पहुंचती। यानी प्रति डब्बा ₹5000 का अंतर आ रहा है। जो सीधे रूप से सरकारी खजाने में जाना चाहिए था।







