भारत ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में कई अद्भुत कारनामें किए हैं, लेकिन 1 अगस्त 1975 को जो हुआ, वह केवल एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति थी। भारत और अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने मिलकर SITE (Satellite Instructional Television Experiment) किया। जिसका उद्देश्य दूर दराज गांवों तक शिक्षा, कृषि और संचार पहुंचाना था। इस एक्सपेरिमेंट ने न केवल रिमोट क्षेत्रों में बल्कि पूरे विश्व के लिए एक नई क्रांति ला दी। चलिए जानते हैं क्या था यह मिशन और इसने कैसे पूरी दुनिया में संचार को एक नई दिशा दी।
क्या था भारत और अमेरिका का Satellite Instructional Television Experiment
1 अगस्त 1975 को भारत ने अमेरिका के सहयोग से SITE प्रयोग किया गया। जिसमें नासा के AST-6 सेटेलाइट का इस्तेमाल किया गया था। जो अपने जमाने का सबसे उन्नत सैटेलाइट था। इस सेटेलाइट की खास बात थी इसमें लगा 30 फीट का एंटीना। जो अंतरिक्ष में जाकर छाते की तरह खुलता था। यही तकनीक आधुनिक DTH तकनीकी का आधार बनी। जिसने पूरे विश्व में संचार प्रणाली स्थापित की। नासा ने उपग्रह बनाया और इसरो ने जमीन पर टीवी स्टेशन, सेट टॉप बॉक्स, अन्य यंत्र और 10 फीट के “चिकन मेश एंटीना” बनाएं। यह मिशन तकनीकी क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक क्रांतिकारी और आत्मनिर्भर भारत का भी पहला कदम था।
DTH यानी DIRECT-TO-HOME तकनीक। जो सीधे उपग्रह से उपयोगकर्ता के घर में टेलीविजन तक सिग्नल भेजने का काम करती है। इसमें एक खास सैटेलाइट एंटीना लगा होता है, जिसे आम बोलचाल में डिश कहते हैं। वह एक सेट टॉप बॉक्स से जुड़ा होता है। यह पूरा सिस्टम साइट प्रयोग का आधार था। जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में 10 फीट के मेश एंटीना लगवाकर सीधे उपग्रह से सिग्नल प्राप्त किया।
2400 गांव में पहुंचाई शिक्षा और संचार व्यवस्था
इस मिशन की सफलता ने भारत के छह राज्यों के लगभग 2400 गांवों में टीवी सेट की व्यवस्था उपलब्ध कराई। जहां पहले बिजली भी ठीक से नहीं थी। इन्हें बैटरी से चलाने की पर्याप्त व्यवस्था की गई। गांव के बच्चों ने पहली बार चलते-फिरते चित्र देखें, जो उनके लिए किसी जादू से कम नहीं था। अब दूरदराज गांवों के लोग खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा और विज्ञान से जुड़ी जानकारी लेने में रुचि दिखाने लगे थे।












