Koo Shut Down News: भारत का माइक्रो ब्लॉगिंग और न्यूज़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo जो हूबहू ट्विटर की तरह ही काम करता है। Koo भारत का अपना स्वदेशी एप्लीकेशन है जो ट्विटर का एकमात्र प्रतिद्वंदी था। ताजा रिपोर्ट की माने तो “कू” एप्लीकेशन को बंद कर दिया गया है। जिसकी जानकारी “कू” के संस्थापक ने अपने एक्स हैंडल अकाउंट से दी है।
Koo App की शुरूआत
साल 2020 में राधा कृष्ण और मयंक बिदावतका ने मिलकर KOO ऐप की शुरुआत की थी। जो साल 2021 में बॉयकॉट चीन की मुहिम के बाद काफी ज्यादा पॉपुलर हुआ। Koo भारत का अपना स्वदेशी एप्लीकेशन था। जिसपर भारत के कई बड़े नेताओं और बिजनेसमैन ने अपने ऑफिशियल अकाउंट बनाए थे। इस पर लगभग 9000 से ज्यादा VIP अकाउंट थे।
KOO App ने जुटाए थे करोड़ों
Koo एप्लीकेशन ने अपने प्रचार प्रसार के लिए टाइगर ग्लोबल और एक्सेल जैसे कई बड़े निवेशकों से तकरीबन 60 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा की फंडिंग जुटा थी। हालंकि इतनी फंडिंग मिलने के बावजूद भी koo एप्लीकेशन इंटरनेट पर मजबूती के साथ अपने पांव नहीं जमा सका। जिसका मुख्य कारण है। ट्विटर की लोकप्रियता और उसका यूजर फ्रेंडली इंटरफेस है।
Koo Shut Down News
लगातार 4 सालों तक संघर्ष करने के बाद भी जब यह सफल होता नहीं दिखा तो इसे अन्य कंपनियों को बेचने की भी पेशकश की गई। कंपनी के फाउंडर ने जानकारी दी है कि इसे डेलीहंट द्वारा अधिग्रहण करने की संभावना बनती नजर आ रही थी। लेकिन अंत में वहां से भी कोई फायदेमंद निर्णय नहीं निकला।
कंपनी के संस्थापक राधाकृष्ण ने जानकारी देते हुए कहा कि हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियां, ग्रुप और न्यूज़ मीडिया प्लेटफार्म के साथ कंपनी की साझेदारी करने की कोशिश की, मगर वह उसमें सफल न हो सके और नतीजा अब Koo ऐप को शटडाउन करना पड़ रहा है।
कू के संस्थापकों ने आधिकारिक तौर पर जानकारी दी है कि वित्तीय संकटों के चलते इस प्लेटफार्म को बंद करना पड़ रहा है। हालांकि यह एक बड़ा और सफल प्लेटफार्म बनने के योग्य हैं। मगर ट्विटर जैसे जॉइंट इसकी सफलता में बाधक बनते आ रहे हैं।
हर महीने एक करोड़ एक्टिव यूजर
इसकी शुरुआत साल 2020 में की गई थी। इसके बाद बॉयकॉट चीन की मुहिम ने हर किसी भारतीय का इसकी ओर ध्यान खींचा और स्वदेशी अपनाओ की नीति के चलते भारी संख्या में इसे यूजर मिले।
एक वक्त ऐसा भी था जब इस प्लेटफार्म पर रोजाना के लगभग 21 लाख एक्टिव यूजर थे और मंथली बेसेस पर लगभग एक करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर थे। जिनमें से लगभग 9000 से ज्यादा VIP वेरीफाइड अकाउंट और कई बड़े पॉलिटिकल लीडर सहीत बिजनेसमैन भी इसका इस्तेमाल करने लगे थे।
10M डाउनलोड और 10 भाषाओं में उपलब्ध
Koo ऐप को अब तक 10 मिलियन से भी ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया है यह भारत का पहला माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है जो लगभग 10 में सर्विस देता है।
वर्कर की छटनी भी की
कंपनी ने अपने खर्च को कम करने के लिए वर्कर्स की टीम में भी कई बार छटनी की। बता दें, 2023 और 24 के मुकाबले वर्कर्स की टीम में लगभग 30% कम लोग काम कर रहे थें। अंतिम रूप से इसमें केवल 200 से 250 वर्कर ही शेष रहे।
X और थ्रेड्स के आगे घुटने टेक दिए
ट्विटर जो वर्तमान में एक्स नाम से सुविधा दे रहा है और मेटा के द्वारा लांच किया गया नया माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म थ्रेट्स यूजर फ्रेंडली इंटरफेस के साथ-साथ मजबूत फाइनेंसियल कंडीशन के साथ विकसित हों रहे हैं। इन दोनों बड़े दिग्गज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के आगे “कू” नहीं टिक सका और अब वह पूरी तरह से अपनी सर्विसेज बंद कर रहा है।
Koo App के बंद होने के मुख्य कारण
- Koo के पास मजबूत फाइनेंशियल सपोर्ट ना होना सबसे बड़ा कारण है।
- यूजर फ्रेंडली इंटरफेस किसी भी प्लेटफार्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है जो उसके यूजर्स को उस पर डटे रहने के लिए मजबूर करता है।
- Koo अपने यूजर्स को ट्वीटर की तुलना में बेहतरीन फीचर्स और सुविधाएं देने में नाकाम रहा।
- जहाँ प्रतिद्वंदी कंपनी अपने सोशल मीडिया प्लैटफ़ार्म पर एआई जैसे फीचर्स को शामिल कर चुकी हैं वहाँ Koo App के यूसर इंटरफ़ेस में अभी तक ज्यादा कुछ बदलाव देखने को नहीं मिले हैं।
- Koo App टेक्नोलॉजी की बढ़ती कीमतें।
निष्कर्ष: इस टेक्नोलॉजी से जुड़े लेट में हमने वह एप्लीकेशन से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी है जिसमें को एप्लीकेशन की शुरुआत और उसके द्वारा जुटाए गई फंडिंग एप्लीकेशन की परफॉर्मेंस में उतार चढ़ाव और अंत में Koo App के Shut Down होने की News के बारे में बताया है।
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