Neuralink Chip को एलन मस्क की कंपनी द्वारा बनाया गया है, जिसे हाल ही में एक इंसान के ब्रेन में लगाकर प्रयोग किया गया है। हालांकि, इस तकनीक के साथ कुछ संभावित जोखिम भी जुड़े हैं, जिनमें हैकिंग की संभावना भी शामिल है। न्यूरालिंक चिप के पहले मरीज, नोलन अर्बॉ ने हाल ही में चिंता जताई कि चिप को हैक किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल उनके विचारों को नियंत्रित करने या संवेदनशील जानकारी चोरी करने के लिए किया जा सकता है।
Neuralink Chip क्या है ?
Neuralink Chip को एलन मस्क के निर्देशन में तैयार की गया है Neuralink Chip इंसान और कंप्यूटर के बीच खास कन्नेक्शन बनाएगी। जिससे कंप्यूटर से दिमाग को और दिमाग से कंप्यूटर को इनपुट और आउटपुट दिया जा सकेगा।
इस चिप को एक सिक्के जितने आकर में तैयार किया गया है. जिसे रोबोट और टेक्नोलॉजी के सहारे बहुत ही आसान व सुरक्षित तरीके से इंसानी दिमाग में इंटीग्रेट किया जायेगा।
Neuralink Chip के जरिये इंसानी दिमाग से डाटा डिलीट करने नया डाटा जोड़ने और सेव करने की भी सुविधा उपलब्ध होगी। यानि इसके इस्तेमाल और परिणाम काफी हैरान करने वाले होंगे। जो आगामी समय में सम्भव होते नजर आ रहे है।
Neuralink Chip से किसे होगा फायदा ?
इस चिप को उन बीमार लोगों के दिमाग में इम्प्लीमेंट किया जायेगा जो न्यूरोलॉजिकल बीमारी, दिमाग से जुडी बीमारी या नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर से ग्रसित होंगे। ताकि उनके दिमाग और शरीर को काफी हद तक कम्प्यूटर से ऑपरेट किया जा सके। इससे सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा जो शरीरिक और मानसिक रूप से डिसेबल है।
ताज़ा जानकारी के मुताबिक इस Neuralink Chip का इंसानों पर पहला सफल परीक्षण पिछले महीने ही कर लिया गया है. जिसमें एक बीमार व्यक्ति जिसका नाम नोलैंड आर्बॉग है. जिसने अपनी इच्छा से इस चिप को दिमाग में लगाने की अनुमति दी है।
नोलैंड आर्बॉग ने शेयर किया Neuralink Chip का अनुभव
नोलैंड आर्बॉग दुनिया का पहला मानसिक रोगी है. जिसके दिमाग में चिप लगाई गई है. यह चिप मात्र एक सिक्के के आकर की है. जिसमें हज़ारो की संख्या में एलेक्ट्रोड लगे हुए है. यह चिप दिमाग में लगाने के बाद नोलैंड आर्बॉग कम्प्यूटर के कर्सर को अपने दिमाग से चलाने लगा था.
वह कर्सर को न सिर्फ मूव कर सकता था, बल्कि कंप्यूटर में कई छोटे-बड़े टास्क भी करने में सक्षम हो गया था. जिसका साफ मतलब ये रहा की ये चिप काफी हद तक सफल होती नजर आ रही है. जो जल्द की पूरी तरह से बनाकर दिमाग में लगाने के लिए तैयार हो जाएगी।
नोलैंड आर्बॉग के लिए ये काफी शानदार अनुभव रहा. चिप को लेकर नोलैंड आर्बॉग कई प्रकार के विचार और भय था. लेकिन चिप के लगाने से किसी भी प्रकार का फ़िलहाल कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं देखा गया. नोलैंड आर्बॉग ने एक इंटरव्यू भी दिया है. जिसमें लोगों ने कई सवाल किया है।
क्या Neuralink Chip को हैक किया जा सकता है ?
इंटरव्यू के दौरान आर्बॉघ से पूछा गया की क्या इस चिप को किसी हैकर द्वारा हैक किया जाना संभव है ? जवाब में आर्बॉघ ने कहा की इसे हैक करना संभव है. लेकिन हैक करने के बाद भी कुछ ज्यादा बड़ा खतरा नहीं है. वो सिर्फ वही कर या देख सकता है. जो मैं कर या देखा सकता हूँ.
चिप हैक होने के बाद हैकर कंप्यूटर के कर्सर को कण्ट्रोल कर सकता है. साथ ही ईमेल पढ़ सकता है. चिप के जरिये दिमाग की सभी प्रकार की गतिविधियों को निगरानी की जा सकती है.
आर्बॉघ को चिप लगाने से पहले उसकी पूर्ण सहमति ली गई थी. साथ ही चिप के फ़ैल होने की स्थिति में उसके साइड इफेक्ट्स की भी जानकारी दी गई थी. ताकि आर्बॉघ पूरी तरह से इसके लिए तैयार हो सके। पॉडकास्ट के दौरान आर्बॉघ ने चिप इंटिग्रेड होने की अनुभव को काफी अच्छा बताये है. और चिप को लेकर काफी उत्सुक लग रहे है। इनकी उम्र 29 वर्ष है. जो खुद बीमारी से पीड़ित है।
निष्कर्ष : इस न्यूज़ लेख में Neuralink Chip के पहले सफल परीक्षण की जानकारी दी गई है. जो किसी जादुई कारनामें से कम नहीं लगती। न्यूरालिंक चिप इंसानी दिमाग और कंप्यूटर के मध्य संयोजन बनाकर काम करने के लिए बनाई जा रही है. जिसका इस्तेमाल मानसिक रोगियों के लिए प्राथमिक रूप से किया जाना है.