नातरा प्रथा (Natra Jhagda Tradition): शादी एक ऐसा बंधन है, जिसमें दो लोग बंधकर एक दूसरे के साथ जीवन जीने की कसमें खाते हैं। हालांकि यह रिश्ता ठीक से ना चल पाने के कारण दोनों एक दूसरे की रजामंदी से अलग हो जाते हैं और अपना-अपना जीवन जीते हैं। मगर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में यह इतना भी आसान नहीं है जितना इसे माना जाता है।
दरअसल मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले और निकट राजस्थान में नातरा प्रथा का काफी प्रचलन है। नातरा प्रथा उन महिलाओं को जीवन जीने का अधिकार देती है, जो विधवा है या उनकी समय पर शादी नहीं हुई। मगर सामाजिक कुरीतियों के चलते आज नातरा प्रथा सिर्फ जबरन पैसा वसूली का एक जरिया बनकर रह गई है। ऐसे ही कुछ कहानी है राजगढ़ की कौशल्या और अनीता सहित सैकड़ो महिलाओं की। जिन्होंने नातरा प्रथा जैसी कुरीतियों का सामना किया है। आइए जानते हैं नातरा प्रथा क्या है ? और यह कैसे महिलाओं के लिए एक श्राप बन गई है?
नातरा प्रथा क्या होती है?
नातरा एक ऐसी प्रथा है, जो विवाह के बाद छोड़ी गई महिलाओं, विधवा महिलाओं और समय पर शादी न होने वाली महिलाओं को किसी दूसरे पुरुष के साथ जीवन जीने का अधिकार देती है। किसी भी महिला का विवाह सफल न होने पर वह अपने पति को छोड़कर किसी और के साथ रहना चाहती है, तो नातरा प्रथा के तहत दूसरा विवाह कर सकती है। हालांकि इसमें महिला के परिवार को नातरा धन (जिसे आम भाषा में झगड़ा कहते हैं.) चुकाना पड़ता है। जिसके चलते आज नातरा प्रथा आर्थिक शोषण का एक माध्यम बन चुकी है।
यानी किसी महिला को अपने पति से छुटकारा पाने के लिए भी अपने पति को एक मोटी रकम देनी होगी। और पैसा ना देने पर दूल्हे के पक्ष के लोग दुल्हन के घर आकर मारपीट करने और आगजनी की धमकी देते हैं।
कौशल्या ने सुनाई अपनी-आप बीती
राजगढ़ जिले के एक मध्यम वर्गीय परिवार की कौशल्या (बदला हुआ नाम) भी इसका शिकार हुई है। कौशल्या इंटरव्यू में बताती है कि जब वह 2 महीने की थी, तभ ही उसकी सगाई कर दी गई और आगे चलकर उसकी शादी हुई। मगर शादी 3 साल बाद ही टूट गई। उसका पति शराब पीकर उसके साथ जमकर मारपीट करता था। जब उसने शराब पीने की लत के खिलाफ परिवार वालों को शिकायत की तो उल्टा उसे यह कहकर चुप कर दिया गया कि अपने खुद के पैसे की पीता है।
कौशल्या पर दहेज का भी दबाव बनाया जाने लगा। जिससे तंग आकर कौशल्या अपने मायके वापस आ गई। हालांकि कौशल्या को भी शादी से बाहर आने के लिए एक मोटी रकम अपने पति को देनी पड़ी। कौशल्या तो महज एक उदाहरण है। आसपास के इलाकों में ऐसे ही सैकड़ो महिलाएं मिल जाएगी, जो कौशल्या की तरह हालातो का सामना कर चुकी है।
खाप पंचायत करती है अंतिम फैसला
जब कोई महिला और उसके मम्मी पापा तलाक के दौरान पुरुष पक्ष को झगड़ा यानी पैसा देने से मना कर देता है तो उनकी जाति और बिरादरी के उम्रदराज लोग बैठकर फैसला करते हैं और यह फैसला हर किसी को मानना पड़ता है। फैसले के खिलाफ जाने वाले व्यक्ति को अपने समाज से बाहर कर दिया जाता है और उससे बेटी और पानी व्यवहार भी तोड़ दिया जाता है।
इस पंचायत में केवल पुरुष ही शामिल होते हैं और महिलाओं के अधिकारों और उनकी इच्छाओं का मान सम्मान नहीं किया जाता। स्थानीय लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि यह पंचायत ज्यादातर या कह सकते हैं सभी फैसले पुरुष के पक्ष में ही करती है।
SP आदित्य मिश्रा का बयान
राजगढ़ के स्थानीय थाने के एसपी आदित्य मिश्रा कहते हैं कि कुछ मामलों में पीड़ित पक्ष कानून का सहारा लेने की कोशिश करता हैं, कानूनी प्रक्रिया के तहत अंतिम फैसला किया जाता है। हालांकि नातरा या झगड़ा जैसी कुरीतियों होना यहां एक आम बात है।