मोदी सरकार एक देश एक चुनाव (One Nation One Election Bill) पर जोर दे रही है। कैबिनेट ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जिसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी तैयार की गई थी। जो काफी हद तक संभव होता नजर आ रहा है। यदि एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह भारतीय राजनीति के इतिहास का एक बहुत बड़ा परिवर्तन साबित होगा। जो देश के विकास और आर्थिक स्थिति पर भी सीधे तौर पर प्रभाव डालेगा।
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One Nation One Election Bill क्या है?
एक देश एक चुनाव (One Nation One Election Bill) मोदी सरकार की एक नई नीति है। जिसके माध्यम से विधानसभा और लोकसभा के चुनाव को एक साथ आयोजित करने की तैयारी की जा रही है। जिसे कैबिनेट से भी मंजूरी मिल चुकी है। यह कमेटी रामनाथ कोविंद के निर्देशन में काम कर रही थी। जिसपर लंबे समय से लगातार काम किया जा रहा था।
शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश होगा
मोदी सरकार पिछले 1 साल से एक राष्ट्र एक चुनाव को काफी गंभीरता से ले रही थी। नरेंद्र मोदी ने चुनावि सभाओं और कई अवसरों पर भी वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र किया था। कुछ समय पहले ही NDA सरकार के 100 दिन पूरे हुए हैं। जिसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी वन नेशन वन इलेक्शन पर जोर दिया था। जिसे अब कहीं जाकर मंजूरी मिली है। अब संसद के शीतकालीन (सितंबर से अक्टूबर) सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। इसके बाद वन नेशन वन इलेक्शन की नीति लागू करने की राह और भी ज्यादा आसान हो जाएगी।
मोदी ने किया था लाल किले पर जिक्र
15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की मीनार से भाषण देते हुए वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा उठाया था। मोदीजी का कहना था, कि बार-बार चुनाव होने से देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही विकास की प्रगति में भी बाधा आती है। इसके समाधान के लिए लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव को एक साथ आयोजित करना ही उचित होगा।
रामनाथ कमेटी ने तैयार की 18 हज़ार पन्नों की रिपोर्ट
एक राष्ट्र एक चुनाव की इस नई नीति पर गहराई से सोच विचार करके रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी रामनाथ कोविंद को सौंप गई। जिनकी अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। जिसने लगभग 193 दिनों तक गहराई से रिसर्च करने के बाद 14 मार्च को लगभग 18,626 पन्नों की एक रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष पेश की। जिसे अब केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है।
रामनाथ कोविंद ने दिया सुझाव
रामनाथ कोविंद ने एक राष्ट्र एक चुनाव में अहम भागीदारी निभाई है। इन्होंने निजी तौर पर सुझाव दिए हैं।
- रामनाथ कोविंद का कहना है, कि सभी विधानसभाओ का कार्यकाल 2029 तक के बढ़ाया जाना चाहिए।
- किसी को भी बहुमत नहीं मिलने या अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद 5 साल के कार्यकाल के लिए दोबारा चुनाव आयोजित किया जाना चाहिए।
- पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव जबकि दूसरे चरण में लोकल बॉडी इलेक्शन (स्थानीय निकाय चुनाव) कराए जाने चाहिए।
- चुनाव में इस्तेमाल किये जाने वाले सभी उपकरणों और सुरक्षा बलों आदि का पहले ही योजना के साथ बंदोबस्त करना चाहिए।
एक राष्ट्र एक चुनाव बिल में कई दिक्कतें
- रामनाथ कोविंद कहते हैं, कि एक राष्ट्र एक चुनाव बिल लागू करने पर देश के संविधान मे लगभग 18 संवैधानिक बदलाव करने होंगे। हालांकि इनके लिए राज्यों की विधानसभाओं की सहमति मिलना जरूरी नही है।
- कुछ संवैधानिक बदलाव के लिए बिलों को भारतीय संसद से स्वीकृति मिलना आवश्यक है।
- सिंगल वोटर आईडी कार्ड और सिंगल इलेक्टरल रोल के लिए ज्यादातर राज्यों की मंजूरी मिलना आवश्यक होगी।
- संभवतह: रामनाथ कोविंद की कमेटी द्वारा सबमिट की गई रिपोर्ट पर भी लॉ कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट पेश की जाएगी।
- लॉ कमीशन गठबंधन और किसी को भी बहुमत नहीं मिलने की स्थिति के लिए नए नियम और बिलों की मांग है।