सपा अब समाज की नहीं, सिर्फ परिवार की पार्टी है… मनीष यादव पतरे का बड़ा बयान

By: महेश चौधरी

Last Update: July 16, 2025 12:39 PM

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इटावा कांड पर टिप्पणी करने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता मनीष यादव पतरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। कथावाचक चोटी कांड और सपा नेतृत्व के रवैये पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया के चलते मनीष यादव के खिलाफ यह कदम उठाया गया है. जिसके बाद मनीष यादव ने खुलकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी की कार्यशैली पर बड़ा हमला बोला है। मनीष यादव ने आरोप लगाया कि पार्टी अब ‘समाजवादी’ नहीं रही, बल्कि सिर्फ एक परिवारवादी संगठन बनकर रह गई है। चलिए जानते है क्या है पूरा मामला।

PDA का असली मतलब है – परिवार, डिंपल और अखिलेश

पार्टी से निकाले जाने के बाद एक मीडिया इंटरव्यू में मनीष यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने PDA का नारा देकर पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को साथ जोड़ने की बात करती है, लेकिन असल में PDA का मतलब अब पार्टी में सिर्फ “P – परिवार, D – डिंपल, A – अखिलेश” रह गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव अब सिर्फ अपने परिवार के इर्द-गिर्द राजनीति को जमा चुके हैं। यहां तक कि अपने ही समुदाय के यादव नेताओं को टिकट देने से कतराते हैं।

अपने बयान में मनीष यादव ने अखिलेश यादव पर व्यक्तिगत रूप से भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव हर पद पर कब्जा चाहते हैं। फिर चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष हो, सांसद हो या प्रवक्ता। पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को कोई सम्मान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि यादव समाज अब अखिलेश से दूर हो रहा है क्योंकि उन्हें यह एहसास हो गया है कि समाजवादी पार्टी अब उनके हितों की पार्टी नहीं रही। मनीष आगे यह भी कहते है कि अखिलेश यादव दलितों के साथ और विकास की बात करते हैं। मगर अकेले में यह कहते सुना है की “दलितों से बदबू आती है”

मुझे पार्टी से निकालने का हक सिर्फ प्रदेश नेतृत्व को है – मनीष यादव

मनीष ने TV9 Uttar Pradesh Uttarakhand से बातचीत में कहा कि उन्हें मीडिया से पता चला कि सपा के जिला अध्यक्ष ने इटावा कथावाचक कांड पर टिप्पणी करने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया है, जबकि पार्टी संविधान के अनुसार किसी प्रदेश पदाधिकारी को निकालने का अधिकार केवल प्रदेश अध्यक्ष या राष्ट्रीय अध्यक्ष को होता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि समाजवादी पार्टी में अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया बची ही नहीं है। मनीष ने बड़ी चतुराई से यह कहने का प्रयास किया है की उन्हें पार्टी से निकालना पूरी तरह से अनुचित और गैर-संवैधानिक है.