कल्पना कीजिए: एक शादी, बाराती, मंडप… सब कुछ है, लेकिन दूल्हा असली नहीं है, जी हाँ, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं। दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जहाँ अकेलेपन, सामाजिक दबाव या फिर किसी और अजीबोगरीब वजह से महिलाएं अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला लेती हैं—पति को किराए पर लेना (Rent A Husband) यह बात किसी फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि एक हैरान कर देने वाला सच है। इन महिलाओं के लिए, असली शादी का बंधन एक सपना है, और उसकी जगह एक टेम्परेरी डील ने ले ली है।
₹2000 से लेकर लाखों रुपये तक खर्च करके ये महिलाएं कुछ घंटों या दिनों के लिए एक ‘पति’ घर लाती हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्यों? क्या इस मजबूरी के पीछे कोई गहरा सामाजिक कारण है, या यह सिर्फ स्टेटस सिंबल का दिखावा? इस आर्टिकल में हम उस चौंकाने वाले सच का पर्दाफाश करने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। तैयार हो जाइए, क्योंकि यह कहानी आपके रिश्तों की समझ को पूरी तरह बदल देगी…
यूरोपीय देश से लातविया में मिलते हैं किराए पर पति
लातविया देश में महिलाओं के बीच किराए पर पति लेने की सेवाएं आजकल काफी तेजी से बड़ रही है और सामान्य बनती जा रही है। यह सेवाएं पूरी तरह से अस्थाई होती है और इन्हें केवल कुछ घंटे या दिनभर या अधिकतम महीने भर के लिए किराए पर पति मिल रहे हैं। खास बात यह है कि इन अस्थाई पतियों का उद्देश्य किसी रिश्ते को स्थिरता बनाना नहीं है, बल्कि महिलाओं की तात्कालिक जरूरत को पूरा करना है। इनमें घर के छोटे-मोटे कामकाज धार्मिक रीति रिवाज घरेलू काम और भावनात्मक सपोर्ट देना होता है।
किराए पर मिलने वाले पति या पुरुष अपना रोल निभाने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं। वे महिलाओं के साथ विनम्रता से पेश आने और सहायता के दौरान उनकी किसी भी तरह की असहज महसूस न होने दे, ऐसा उन्हें कौशल होता है। कई महिलाये बताती है कि ऐसे पुरुष न सिर्फ घर के कामकाजों में पूरी तरह भागीदारी निभाते हैं बल्कि बातचीत के माध्यम से भावनात्मक सहारा देने में भी पूरी तरह से सफल होते हैं।
नौकरी पेशा में भी मर्दों की कमी
लिंगानुपात में भारी असंतुलन के कारण नौकरी क्षेत्र पर भी इसका काफी नकारात्मक असर पड़ा है। देश की कई कंपनियों में तो महिलाओं की संख्या इतनी अधिक है कि कुछ कंपनियों में तो लगभग पूरा स्टाफ ही महिलाओं से भरा पड़ा है। कंपनियां पुरुष की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी तो करती है लेकिन पुरुषों की मांग पूरी ही नहीं हो पाती।
क्या है असली वजह
लातविया में पुरुषों की कम संख्या का सबसे बड़ा कारण कम जीवन प्रत्याशा मानी जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक यहां के पुरुष धूम्रपान उच्च दर, शराब का अधिक सेवन और अस्वस्थ जीवन शैली के चलते ज्यादा आयु तक जीवन नहीं जीते। उनकी जल्दी मौत होने के कारण यहा लिंगानुपात में असंतुलन उत्पन्न हुआ है। यहां के पुरुषों की औसत आयु 65 वर्ष मानी जा रही है। जिसके चलते महिला महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में लगभग 15 से 20% अधिक है। इसके बाद महिलाएं किराए पर पति रखने के लिए मजबूर हो रही हैं।







