क्या टैक्स और महंगाई मिडिल क्लास को भाजपा से दूर कर रही है? कब आएंगे गरीबों के अच्छे दिन ?

By: महेश चौधरी

Last Update: December 28, 2025 6:11 AM

क्या टैक्स और महंगाई मिडिल क्लास को भाजपा से दूर कर रही है?
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आपको 2014 का वह प्रचार वीडियो याद है? जिसमें एक महिला कहती थी “महंगाई को लगातार बढ़ाने वालों, जनता तुम्हे माफ नहीं करेगी, बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार” इस वीडियो को देखकर ही मिडिल क्लास लोगों ने एकतरफा बहुमत देकर 2014 में बीजेपी को जीत दिलाई थी। सोचा था शायद BJP उनकी गरीबी दूर करेगी। गरीबी भगाओ का नारा देकर भाजपा सत्ता में तो आ गई, लेकिन अपने वादों को भूल गई। वही लोग, जो BJP के सबसे वफादार और मजबूत आधार बने थे, अब भाजपा से दूर भाग रहे हैं।

Khabadaari.com की आज की इस रिपोर्ट में हम गरीब लोगों के इसी मुद्दे को उजागर करने का काम करेंगे। आखिर कैसे टैक्स और महंगाई मिडिल क्लास लोगों और भाजपा के बीच खाई खोदने का काम कर रही है।

टैक्स और महंगाई ने बढ़ाया गरीबों का बोझ

भारत में शायद ही ऐसा कोई सामान होगा जिस पर आज के समय में टैक्स नहीं लगा हो। सुई और धागे से लेकर लग्जरी गाड़ियों तक हर एक चीज पर मोटा टैक्स वसूला जा रहा है। जिससे मिडिल क्लास लोग महंगाई की मार झेल रहा है। 

मिडिल क्लास लोग अपनी इनकम पर “इनकम टैक्स” खरीददारी पर “जीएसटी” और निवेश पर “कैपिटल गैन टैक्स” देकर अपनी कमाई का मोटा हिस्सा तो सरकार को दे देते हैं। साथ ही महंगाई की मार भी गरीबों का खून पसीना निचोड़ने में कोई कमी नहीं छोड़ रही।

डायरेक्ट टैक्स या इनकम टैक्स

अब कोई अमीर लखपति व्यक्ति तो नौकरी करेगा नहीं  नौकरी तो केवल मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास लोग ही करते हैं। उनकी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इनकम टैक्स में चला जाता है। इसके बदले ना तो उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है, ना हॉस्पिटल में फ्री उपचार, न ही कोई सामाजिक सुरक्षा। इतना भारी भरकम टैक्स देने के बावजूद उन्हें सरकार से कोई खास रिटर्न (सुविधा) नहीं मिलती।

इनडायरेक्ट टैक्स 

व्यक्ति अपनी रोजमर्रा जिंदगी के हर सामान पर इनडायरेक्ट टैक्स जीएसटी के रूप में चुकाता है। जब भी आप बाजार से कोई सामान खरीदते हैं तो उसकी जो कीमत होती है वह जीएसटी के साथ होती है। जैसे आप कोलगेट-ब्रश या सुई-धागा छोटे से छोटा सामान भी खरीदते हैं तो उस पर आप जीएसटी चुकाते हैं। अमीर वर्ग पर तो इसका कोई खास असर नहीं पड़ता। लेकिन मिडिल क्लास लोगों की जेब खाली हो जाती है।

कैपिटल गैन टैक्स

महंगाई, डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स की मार झेलकर भी अगर कोई मिडिल क्लास व्यक्ति शेयर बाजार या रियल एस्टेट में इन्वेस्ट कर देता है तो सरकार उसे यहां भी नहीं छोड़ती। यहां भी कैपिटल गैन टैक्स के नाम पर सरकार काफी मोटी रकम वसूल लेती है।

महंगाई गरीबों के लिए पहला झटका 

2014 के आसपास एलपीजी सिलेंडर 400 से 450 रुपए में आसानी से मिल जाता था। लेकिन BJP के 10 सालों के कार्यकाल के बाद जहां महंगाई कम होनी चाहिए थी, वहीं बढ़ रही है। अब वही सिलेंडर 900 से ₹1100 तक पहुंच गया है। यानी या तो गरीब लोग खाना कम पकाएं या चूल्हे पर फूंक मारे। 

इसी तरह जो पेट्रोल 2014 में ₹50 प्रति लीटर मिलता था। वह आज ₹100 तक पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों में भले ही महंगाई 5-6 प्रतिशत दिख रही है, मगर गरीबों की थाली और जेब में महंगाई 15 से 20% तक बढ़ चुकी है। सब्जी, तेल, दूध और दवा जैसी जरूरी चीजों का गरीबों के पास कोई विकल्प नहीं होता।यहीं से गरीब लोगों का बोझ भारी होता जाता है।

अमीर बच जाता है लेकिन गरीब क्यों फंसे जाता है 

यह बात कड़वी है, लेकिन सच है… टैक्स सिस्टम समझना और सही से इस्तेमाल करना भी एक ताकत है। बड़े कारोबारी, हाई-इनकम प्रोफेशनल और कॉरपोरेट्स के पास चार्टर्ड अकाउंटेंट, लीगल स्ट्रक्चर और कई तरह के लूपहोल्स होते हैं। जिनका सहारा लेकर वे टैक्स चुकाने से बच जाते हैं। 

लेकिन गरीब दिन दहाड़ी मजदूर, छोटे दुकानदार और प्राइवेट नौकरी करने वाले लोग हर खरीद पर टैक्स देते हैं। उन्हें लगता है कि जैसा सिस्टम दिखाया गया है, हमें वैसा ही सिस्टम फॉलो करना पड़ेगा। आसान शब्दों में टैक्स केवल गरीब लोगों के लिए ही बनकर रह गया है अमीरों के लिए नहीं। 

बीजेपी 2014 से सत्ता में है। बावजूद इसके मिडिल क्लास लोगों के लिए गरीबी सिरदर्द बनती ही जा रही है। अब लोगों को यह तो समझ आ गया है कि बीजेपी गरीबी दूर करने के लिए कुछ खास नहीं कर रही है। गरीबों का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिससे मिडिल क्लास लोगों और बीजेपी के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है। जो आने वाले चुनाव में तख्ता पलट भी कर सकती है। बाकी देश में बढ़ रही महंगाई और भारी भरकम टैक्स को लेकर आपका क्या कहना है, कमेंट में जरूर बताएं।