सीरिया में बसर अल-असद की सरकार का तख्ता-पलट होने से वहां अब विद्रोहियों ने कब्जा जमा लिया है। लगातार 13 सालों से असद विद्रोहियों को खत्म करने में लगे थे। और उन्हें आगे बढ़ने से रोक रखा था। मगर पिछले 6 महीने में हालात कुछ ऐसे हो गए कि असद को अपना ही देश छोड़कर भागने की नौबत आ गई और इसके बाद सीरिया की कमान विद्रोहियों के हाथों में चली गई। बसर असद की सरकार का अब पूरी तरह से पतन हो चुका है। विद्रोही लोगों की भीड़ सड़कों पर जश्न मना रही है। सरकार विरोधी नारे गूंज रहे हैं।
कई इलाकों में गोलियां चला कर जश्न मनाया जा रहा है। सैनिक और पुलिस अपनी चौकिया छोड़ भाग खड़े हुए। सोशल मीडिया से मिले इनपुट के मुताबिक आम जनता और विद्रोही रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय में घुस गए हैं। तमाम हालातो को देखते हुए एक सवाल सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है, आखिर 13 सालों से जिन विद्रोहियों का फन कुचलने में सरकार लगी थी। उन्होंने पिछले 6 महीने में ही ऐसा क्या किया कि सीरिया के राष्ट्रपति बसर असद की सरकार का तख्तापलट हो गया।
तमाम सवालों की जड़ “हिजबुल्लाह कनेक्शन” से जुड़ी है। जो हमेशा असद को मदद करता आया है। गोला बम बारूद से लेकर लड़ाके तक हर तरह से हिजबुल्लाह ने असद की मदद की है। मगर इजराइल ने हिजबुल्लाह की कुछ ऐसी हालत कर दी की मदद तो छोड़िए। वह खुद भी अपने आप को नहीं बचा पाया। आइए जानते हैं.. क्या है पूरा मामला और सीरिया में हुई सत्ता पलट की कहानी कहां से शुरू होती है.
हिजबुल्लाह कनेक्शन टुटने से सीरिया का तख्तापलट
हिजबुल्लाह असद को हथियार मुहैया कराने का काम करता था और जरूरत पड़ने पर विद्रोहियों के खिलाफ लड़ने के लिए लड़ाके भी भेजता था। असद और इजरायल के बीच भी कट्टर दुश्मनी थी। पिछले कई महीनो से चले आ रहे इसराइल और हमास युद्ध के दौरान इसराइल हिजबुल्लाह को भी निशाने पर ले आया। उसके ज्यादातर कमांडर्स को खत्म कर दिया। उसकी गोला बारूद बनाने वाली फैक्ट्री को भी ध्वस्त कर दिया। जिसके चलते असद को हिजबुल्लाह से मदद मिलना बंद हो गई। हथियारों के अभाव में वह काफी कमजोर पड़ गया। दूसरी ओर इसराइल ने बैलिस्टिक मिसाइल के हमले के जवाब में असद के आका ईरान को भी दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया। तमाम घटनाएं 6 महीने की अवधि में होने के कारण असद को अपनी सरकार को बनाए रखने की के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला और वह इसमें नाकाम रहा।
रूस से भी नहीं मिली मदद
इस घटना में रूस भी एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में सामने आया है। जो असद का सहयोगी है और उसे सैन्य ताकत में सहयोग करता था। जिनके दम पर असद विद्रोहियों पर काबू पाए हुए था। मगर यूक्रेन युद्ध के कारण रूस भी असद की मदद करने में नाकाम रहा। जिसके चलते उपद्रवियों को मजबूती मिली और अंततः सीरिया में बशर अल-असद के शासन का पतन हो गया।
सीरिया में विद्रोह कब शुरू हुआ
सीरिया में विद्रोह कि आग साल 2011 से ही लगी है। फरवरी 2011 में सीरिया में सबसे पहले विद्रोह ने हवा पकड़ी। 15 मार्च 2021 को लोगों ने राष्ट्रपति बसर के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध जताना शुरू किया। धीरे-धीरे यह विरोध अरब क्षेत्र में भी पैर पसारने लगा। अरब आगे चलकर इस विद्रोह का एक बहुत बड़ा हिस्सा बना। महज 10 दिनों की समय अवधि में ही विद्रोह इतना बड़ा हो गया की 25 मार्च 2011 को सेना को उतारा गया। सेना ने बल प्रयोग करके इस पर काबू पाने की कोशिश की। मगर 2012 तक आते-आते यह विद्रोह प्रदर्शन गृह युद्ध में का बदल गया।
यह विद्रोह समय के साथ बढ़ता ही गया और साल 2014 तक आते-आते इसमें अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी होने लगे। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी इसमें हवाई हमले किए। 2015 में रूस ने सीरिया सरकार के समर्थन में हवाई हमले किए। इसके बाद यह विद्रोह बढ़ता ही चला आ रहा है। जिसने आखिरकार सीरिया की सरकार को ही पलट कर रख दिया।