The Secret of Bhagavad Gita and Science: भगवत गीता और विज्ञान का रहस्य

The Secret of Bhagavad Gita and Science: भगवत गीता को हिंदू धर्म का सर्वोच्च महाकाव्य माना गया है। जिसमें इंसान के सभी कर्मों और उनके फलों की जानकारी मिलती है। यह जीवन को सदमार्ग की ओर लेकर जाता है। जिसे पढ़कर लाखों लोगों ने अपना जीवन परिवर्तन किया है। मगर भगवत गीता और विज्ञान समय-समय पर विवाद का विषय बनते रहे हैं। कुछ लोग भगवत गीता को काल्पनिक तो कुछ लोग इसे वास्तविक मानते हैं। मगर असलियत में गीता और विज्ञान की कई खोजें एक दूसरे से मेल खाती हैं। कुछ वैज्ञानिक खोजों में भगवत गीता से जुड़ी ऐसी रहस्यमय जानकारी सामने आई है। जो इंसानों के साथ-साथ वैज्ञानिकों को भी उलझन में डालती है। यहां हम आपको भगवत गीता और वैज्ञानिक खोजों के बारे में ऐसी जानकारी देंगे। जिनके आधार पर भागवत गीता की वास्तविकता प्रमाणित होती है।

भगवत गीता

लाखों करोड़ों वर्ष पूर्व कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था। जिसकी शुरुआत के ठीक पहले भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन को उपदेश दिया। जिसका पूरा विवरण अथवा सार श्रीमद् भागवत गीता के नाम से जाना जाता है। जिसमें लगभग 18 अध्याय और 700 श्लोक बताए जाते हैं। वर्तमान में गीता को जीवन बदलने और मोक्ष की प्राप्ति का एक बड़ा माध्यम माना जाता है। जिसे पढ़कर लाखों लोगों ने अपने जीवन और जीवन का लक्ष्य बदला है।

भगवत गीता और विज्ञान में समानता (Similarities between Bhagavad Gita and Science)

भगवत गीता की वास्तविकता का मूल बिंदु जानने के लिए कई वैज्ञानिकों ने समय-समय पर वैज्ञानिक खोजों के माध्यम से प्रमाण जुटाने की कोशिश की हैं। भगवत गीता में लिखी कई बातें वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों में पाई है। और पृथ्वी पर मौजूद कई ऐसी चीज जिन्हें इंसानों द्वारा समझना काफी मुश्किल है। उनका भी विवरण श्लोक के माध्यम से भागवत गीता में मौजूद है। जो वैज्ञानिकों को इसके रहस्य को जानने में ज्यादा रुचि जगाती है।

सिमुलेशन: एलोन मस्क’ और ‘स्टीफन हॉकिंस’ जैसे बड़े फ्यूचरिस्टिक यानी कि हमेशा दूर की सोचने वाले लोगों ने यह कहा है कि हमारी दुनिया एक मायाजाल यानी एक सिमुलेशन हो सकती है। सिमुलेशन का मतलब होता है दोस्तों, जहां हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की कहीं हमारी यह दुनिया एक सिमुलेशन यानी कंप्यूटर प्रोग्राम तो नहीं है। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने इस दुनिया को एक मायाजाल यानी मैट्रिक्स बताया है। उनके कहने के मुताबिक यह हुआ है वह इस दुनिया के प्रोग्रामर है। और यह यूनिवर्स एक कंप्यूटर प्रोग्राम है। और यैसे बहुत सारे यूनिवर्स यानी कंप्यूटर प्रोग्राम मौजूद हैं, जिसके लिए अलग-अलग डेवलपर्स हैं।

थर्मोडायनेमिक्स लॉ: फर्स्ट लॉ ऑफ थर्मोडायनेमिक्स के अनुसार, ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है; इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदल सकते हैं। इसे ‘कंजर्वेशन ऑफ एनर्जी’ भी कहते हैं। उदाहरण के लिए, जनरेटर में एक मैग्नेटिक क्वायल होती है जो घूमते हुए मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदलती है।

भगवत गीता के अध्याय 2, श्लोक 23 में भी यही सिद्धांत व्यक्त किया गया है, जहां आत्मा को ‘सोल एनर्जी’ कहा गया है, जो कभी समाप्त नहीं होती, बल्कि केवल शरीर बदलती है। यह सिद्धांत आधुनिक विज्ञान के ‘कंजर्वेशन ऑफ एनर्जी’ से मेल खाता है, जो मानता है कि मरने के बाद भी शरीर से कुछ ऊर्जा रिलीज होती है। इस तरह, हजारों साल पहले जो विचार प्रस्तुत किया गया था, वह आज की विज्ञान की थ्योरी से जुड़ा हुआ है।

योगा (Meditation): मेडिटेशन (ध्यान) की खोज भगवत गीता से नहीं हुई है, लेकिन गीता में ध्यान की प्राचीन तकनीकों का वर्णन है। ध्यान की प्राचीन परंपराएँ भारत में हजारों साल पुरानी हैं और इनका विकास वेदों, उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। भगवत गीता, जो कि महाभारत का एक हिस्सा है, ध्यान और योग के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाती है। इसमें ध्यान की तकनीकों के लाभ, अभ्यास और महत्व के बारे में बताया गया है।

ध्यान और मेडिटेशन की परंपरा भारत में बहुत पहले से मौजूद थी और गीता ने इसे एक व्यवस्थित और समर्पित पद्धति के रूप में प्रस्तुत किया। इसलिए, गीता ध्यान की तकनीकों को समझने और अभ्यास करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन ध्यान की शुरुआत उससे पहले हो चुकी थी।

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