Unidentified seismic object वैज्ञानिकों को मिले कई रहस्यमय संकेत, भूकंप प्रभावित इलाकों में नौ दिनों तक कम्पन

By: khabardaari.com

On: Saturday, September 14, 2024 1:18 PM

Unidentified seismic object
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Unidentified seismic object: सितंबर 2024 में वैज्ञानिक भूकंपीय हलचलों को मॉनिटर करने के लिए एक रहस्यमय संकेत का पता लगाने में सफल हुए है। यह संकेत पहले कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया। मगर बता दे, यह संकेत आर्कटिक से लेकर अंटार्कटिका तक हर भूकंप प्रभावित क्षेत्र में पाया गया है। जो किसी सामान्य भूकंपीय गड़बड़ाहट( एपीसेंटर) के स्थान पर एक कंपन आवृत्ति के साथ लगातार गूंजता था। यह लगभग 9 दिनों तक जारी रहता है।

वैज्ञानिक हुए हैरान

शुरुआत में तो इस हलचल को देखकर वैज्ञानिक हैरानी में पड़ गए। इस भूकंपीय कंपन को वैज्ञानिकों ने USO (Unidentified seismic object) के रूप में नामांकित किया है. जो (USO) ग्रीनलैंड से दूर स्थित डिक्शन फजॉर्ड में हुए भारी भूस्खलन में भी देखा गया था।

200 मीटर ऊंची लहरों की सुनामी आई

बता दे, लगभग 10,000 ओलंपिक स्विमिंग पूल तैयार करने के चलते चट्टान और बर्फ की बड़ी-बड़ी सिलिया फजॉर्ड में गिर गई थी। जिसके चलते लगभग 200 मीटर ऊंची लहरों की एक बड़ी सुनामी उत्पन्न हुई थी। यह सुनामी लंदन के बिग बेन से भी लगभग 2 गुना बड़े आकार की थी। इस लहर ने शुरुआती और अंतिम छोर पर भी लहर उत्पन्न की। जो करीब 9 दिनों तक बनी रही।

साइंस जर्नल में छपी एक रिसर्च के मुताबिक यह संकेत (Unidentified seismic object) राॅकस्लाइड के कारण डिक्शन फजॉर्ड में खड़ी तरंगा के माध्यम से उत्पन्न हुआ है। यह रिसर्च साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन की ओर संकेत करती है. जिसमें बताया गया है, की क्रायोस्फीयर, लिथोस्फीयर और हाइड्रोस्फीयर के बीच कैस्केडिंग, खतरनाक फीडबैक/प्रतिक्रिया पैदा कर रहा है. 

जलवायु संकट बढ़ता नजर आ रहा

शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन को एक बड़ा संकट बताया है। पिछले एक दशक में ही ग्लेशियर की मोटाई लगभग 10 मीटर कम हो गई है। जिसके चलते पहाड़ों का आधार काफी कमजोर हुआ है। कई पहाड़ धाराशाही हो चुके हैं। जिसके चलते पृथ्वी में प्रभावशाली कंपन पैदा हुआ है। जो पृथ्वी के गर्भ को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। भूकंपीय तरंगे काफी सक्रिय होने लगी है। जिनका प्रभाव दुनियाभर ने महसूस किया है।

जैसे-जैसे ग्लेशियर पतला होता जायेगा वैसे वैसे पर्माफ्रॉस्ट गर्म होता जायेगा। जो ध्रुवीय क्षेत्रों में भूस्खलन और सुनामी की घटनाओं को बढ़ावा देगा। जिसका नमूना डिक्सन फजॉर्ड में हुई भूस्खलन की घटना है. जो न सिर्फ जलवायु परिवर्तन बल्कि मौसम के पैटर्न और समुद्री स्तर को भी प्रभावित करती है। जिसके चलते पृथ्वी की सतह की स्थिरता में भी असर पड़ता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी कर दी है, कि जैसे-जैसे भूमि का गर्भ ग्रह गर्म होता जाएगा। वैसे-वैसे प्राकृतिक आपदाओं की ज्यादा घटनाएं घटित होगी।

पर्माफ्रॉस्ट : पर्माफ्रॉस्ट या स्थाई तुषार भूमि वह मिट्टी वह होती है, जो 2 साल से अधिक समय से 0 डिग्री सेल्सियस या इससे कम तापमान पर जमी हुई रहती है। इसमें पेड़ पौधों के भाग, और अन्य कई एलिमेंट्स बिना अपघटित हुए मौजूद रहते हैं। जिसके चलते मिट्टी का तापमान बढ़ता है। और सूक्ष्मजीव की एक्टिविटी के कारण कार्बन की सांद्रता ज्यादा बढ़ने लगती है। यह मिट्टी ज्यादातर अलास्का, ध्रुवीय क्षेत्र और साइबेरिया में पाई जाती है। जहां ऊष्मा मिट्टी की सतह को गम नहीं कर सकती।

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