सामाजिक मुद्दों पर बनीं ये पांच फिल्में गलती से भी न करें मिस आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं रह गया है। बल्कि यह समाज की समस्याओं और चुनौतियां के साथ-साथ अनकही सच्चाई को उजागर करने का भी एक सशक्त माध्यम बना है। जो समाज को आईना दिखाने का काम करता है। सिनेमा से अब तक कई ऐसी फिल्में रिलीज हो चुकी है। ये फिल्में समाज के काले पर्दें को हटाकर हकीकत से रूबरू कराती है। जिन्हें आपको एक बार जरूर देखना चाहिए। यह फिल्में समाज को बेहतर ढंग से समझने का एक जरिया बनेगी।
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पैडमैन (2018)
डायरेक्टर आर. बालकृष्णन द्वारा निर्देशित पैडमैन फिल्म में अक्षय कुमार, सोनम कपूर और राधिका आप्टे मुख्य भूमिका में नजर आते हैं। जो 9 फरवरी 2018 को रिलीज हुई थी।
फिल्म अरुणाचल प्रदेश के मुरुगनाथम के जीवन के आधार पर तैयार की गई है। जिसने सबसे सस्ते सैनिटरी पैड्स का आविष्कार किया था. फिल्म का नायक अक्षय कुमार (लक्ष्मीकांत) उसकी पत्नी को मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं को लेकर काफी चिंतीत है. वह किफायती सैनिटरी पैड्स तैयार करने की कोशिश करता है. जिसमें वह काफी हद तक सफल भी होता है. मगर गाँव वालों की आलोचनाओं से तंग आकर उसे गांव छोड़ना पड़ता है. मगर वह अपने मिशन को नहीं छोड़ना। यह फिल्म महिलाओं को से जुड़ी स्वच्छता और मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती देती है। और समाज को जागरूक करती है।
रांझणा (2013)
राजा फिल्म एक प्रेम कहानी को पर्दे पर दिखती है। जिसका डायरेक्शन आनंद एल राय द्वारा किया गया था। फिल्म में धनुष, सोनम कपूर और अभय देओल मुख्य भूमिका मे नजर आते हैं। यह फ़िल्म 21 जून 2013 को रिलीज हुई थी।
फिल्म वाराणसी की भूमि पर तैयार की गई है। जहां एक सीधा-साधा लड़का कुंदन (धनुष) जोया (सोनम कपूर) से बचपन से प्यार करता है। लेकिन जोया किसी दुसरे लड़के (अभय देओल) से प्यार करती है। कुंदन अपने प्यार को हासिल करने के लिए हर सीमा पार करता है। लेकिन उसे दर्द और धोखे के सिवा कुछ नहीं मिलता। यह फिल्म प्यार, जुनून और बलिदान को गहराई से दर्शाती है। जिसमें समाज और धार्मिक भेदभाव का अच्छा उदाहरण पेश किया गया है।
पिंक (2016)
फिल्म का निर्देशन अनिरुद्ध राय चौधरी द्वारा किया गया है। जिसमें अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू और कीर्ति कुल्हरी जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिका निभाई है। जिसे 16 सितंबर 2016 को सिनेमाघर में रिलीज किया गया था। यह फिल्म 3 दोस्तों (लड़कियों) के इर्द-गिर्द घूमती है। जो एक पार्टी के दौरान कुछ लड़कों से उलझ जाती है। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतान पड़ता है। उनके साथ ऐसा हादसा होता है। जो उनकी पूरी जिंदगी बदल देता है। ना सिर्फ उनके शरीर के साथ खिलवाड़ किया जाता है। बल्कि समाज में भी उनकी काफी किरकिरी होती है।
यह फिल्म हर एक उस लड़की की कहानी को करीब से दिखाती है। जो बलात्कार जैसे घटनाओं से गुजर चुकी है। कोर्ट में इंसाफ मांगते-मांगते आखिरी उम्मीद टूट जाती है। और जिस तरह उन्हें अखाड़े में खड़े करके गंदे सवालों से घेरा जाता है। वह उन्हें मानसिक आघात पहुंचाता है। फिल्म में लड़कियों की समाज में स्थिति दिखाई गई है। साथ ही चतुर तरीके से उन्हें यह समझने की कोशिश की गई है, कि उनके साथ कभी भी कुछ भी घटना हो सकती है।
Vedaa Movie ( 2024)
वेदा फिल्म इस सूची की सबसे लेटेस्ट फिल्म है। जिसका डायरेक्शन निखिल आडवाणी द्वारा किया गया है। फिल्म में जॉन अब्राहम, सर्वरी और तमन्ना भाटिया ने मुख्य भूमिका निभाई है। जो 15 अगस्त 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।
यह एक एक्शन स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है। जो समाज में ऊंची जाति के लोगों द्वारा दलितों पर जो अत्याचार उठाया जाता है। और जिस तरह उनके मानवाधिकारों का जमकर हनन किया जाता है। यही सब कुछ इस फिल्म में दिखाया गया है।
फिल्म की किरदार वेदा को सार्वजनिक स्थल से पानी पीने तक का अधिकार नहीं है। उसका सपना है, कि वह एक सफल बॉक्सर बने। मगर गांव का प्रधान उसके इस सपने को कुचलने की हर संभव कोशिश करता है। वेदा अपने सपने को पूरा करती है और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती है। ऊंच-नीच के भेदभाव और समाज की बुराइयों को यह फिल्म काफी करीब से दिखाती है।
रोबॉट (2010)
रोबोट फिल्म का डायरेक्शन एस. शंकर द्वारा किया गया है। जिसमें रजनीकांत, ऐश्वर्या राय और डैनी जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिका निभाई है। जो 1 अक्टूबर 2010 को सिनेमाघर में रिलीज की गई थी। यह फ़िल्म ब्लॉकबस्टर रही।
कई बार हम सुख सुविधाओं के लालच में आकार कई नई चीजों का निजात करते हैं। मगर यह नई चीजें ही आगे चलकर हमारे लिए घातक साबित होती है। आसान शब्दों में यह फिल्म एक वैज्ञानिक द्वारा बनाए गए रोबोट के इर्द-गिर्द घूमती है। जो आगे चलकर खुद सोचने समझने की क्षमता डेवलप कर लेता है। इसके बाद यह रोबोट इंसानों के लिए घातक बनता जाता है। यह फ़िल्म इसी बात पर जोर देती है, कि जिस टेक्नोलॉजी को आज हम बढ़े चाव से डेवलप कर रहे हैं। हो सकता है, आगे चलकर यही हमारे लिए घातक बन जाए।