आखिरकार लंबे इंतजार के बाद विक्रांत मैसी स्टारर फिल्म द साबरमती रिपोर्ट रिलीज हो गई है, जिसने सालों पहले साबरमती एक्सप्रेस के साथ हुई दुखद दुर्घटना को फिर से चर्चा में ला दिया है। इस फिल्म में साबरमती एक्सप्रेस के साथ हुई उस दुर्घटना को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई है, जिसमें गोधरा स्टेशन पर ट्रेन की एक बोगी में आग लगने से लगभग 60 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। फिल्म राजनीति और न्यूज़ मीडिया की काली सच्चाइयों को भी सामने लाने का प्रयास करती है। अगर आप भी इस फिल्म को देखने का विचार कर रहे हैं, तो पहले द साबरमती रिपोर्ट रिव्यू पढ़ना आपकी उत्सुकता और बढ़ा सकता है। आइए जानते हैं द साबरमती रिपोर्ट फिल्म देखनी चाहिए या नहीं।
द साबरमती रिपोर्ट फिल्म के बारे में
द साबरमती रिपोर्ट फिल्म को आज 15 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE 5 पर रिलीज किया गया है। फिल्म में विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा ने मुख्य भूमिका निभाई है। यह एक ड्रामा थ्रिलर फिल्म है। जिसे अविनाश और अर्जुन ने लिखा है। फिल्म का निर्देशन रंजन चंदेल द्वारा किया गया है। मगर बाद में उनकी जगह धीरज शर्मा ने कमान संभाली। फिल्म को बालाजी मोशन पिक्चर्स और विकीर फिल्म्स प्रोडक्शन द्वारा तैयार किया गया है। जिसका वितरण जी-स्टूडियो द्वारा किया गया है।
द साबरमती रिपोर्ट फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में लगी आग की दुर्दांत दुर्घटना के इर्द-गिर्द घूमती है। इस दुर्घटना में 59 लोगों की जान चली गई थी। मगर यह हादसा एक सामान्य हादसा था या एक सोची समझी साजिश। इसी की जांच पड़ताल के साथ द साबरमती रिपोर्ट फिल्म की कहानी तैयार की गई है। फिल्म में विक्रांत एक हिंदी मीडियम रिपोर्टर की भूमिका निभाते हैं। जिनके साथ राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा भी है। फिल्म में अंग्रेजियत को भी बड़ा चढ़ाकर महत्व दिया गया है.
द साबरमती रिपोर्ट में राजनीति के गंदे खेल को भी दिखाया जाएगा। साथ ही साथ यह दिखाने का भी प्रयास किया गया है कि कैसे न्यूज़ मीडिया बड़ी-बड़ी खबरों को फेर-बदल करके इसका अर्थ ही बदल लेते हैं। और कई खबरों को तो छापते भी नहीं। जिन खबरों को दबाने की जरूरत होती है उन्हें उछाला जाता है और लोगों की जलती चिता पर न्यूज़ रिपोर्टर से लेकर मंत्री तक हर कोई रोटी सेकने की कोशिश करता है। यही सब कुछ इस फिल्म में दिखाया गया है।
द साबरमती रिपोर्ट रिव्यू (sabarmati report review in hindi)
फिल्म के डायरेक्टर धीरज सरजा ने डायरेक्शन में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने पूरे जीवन भर का अनुभव इसी एक फिल्म में झोंक दिया। फिल्म को आम इंसान के नजरिए से नहीं बल्कि एक रिपोर्टर की नजरे से दिखाने की पूरी कोशिश की गई है। जिसके कारण लोग अपने आप को किसी रिपोर्टर की भूमिका में रखकर फिल्म का आखिरी तक लुत्फ उठाते हैं। फिल्म सीधे रूप से 59 लोगों की जान जाने की घटना पर ध्यान केंद्रित करती है। बेशक आज की पीढ़ी के लोगों को इस घटना के बारे में कुछ खास पता नहीं हो। मगर द साबरमती रिपोर्ट उनके लिए एक दस्तावेज का काम करेगी।
फिल्म दर्शकों को कहीं पर भी बोर महसूस नहीं कराती और कोई भी सीन जबरन ठूंसा हुआ नहीं लगता। फिल्म तेजी से आगे बढ़ती है। और जल्दी ही अपनी कहानी की डोर पकड़ लेती है। फिल्म के सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक भी वातावरण और कहानी के साथ तालमेल बिठाता है। जिससे दर्शकों पर खास असर पड़ता है।
डायरेक्शन में और क्या बेहतर हो सकता था?
फिल्म का स्क्रीन प्ले और स्टोरी लाइन में बहुत बारीक कमियां नजर आती है। हालांकि इन्हें दर्शन खास महत्व भी नहीं देते। दूसरी और हल्के-फुल्के कॉमिक्स सीन बिना किसी कारण डाले गए महसूस होते हैं। मगर असल में उनके आधार पर ही फिल्म पटरी पर चढ़ती है। इन्हें थोड़ा बेहतर ढंग से फिल्माया जा सकता था। जहां 59 मासूम लोगों की एक भयानक हादसे में मौत हो गई। वहां कहीं ना कहीं इमोशन और रोना कम दिखाए गए हैं।
बाकी फिल्म के कलाकारों का प्रदर्शन लाजवाब है। जहां विक्रांत मैसी का नाम हो वहां एक्टिंग में कमी रह जाए यह संभव नहीं। दूसरी ओर रिद्धि डोगरा ने भी सहायक भूमिका में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। राशि खन्ना एक ट्रेनी जर्नलिस्ट के किरदार में एकदम फिट बैठती है। जिसकी विक्रांत के साथ के जोड़ी जमी है।
फिल्म देखनी चाहिए या नहीं
द साबरमती रिपोर्ट फिल्म ना देखने का कोई ठोस कारण नहीं है। अगर आप विक्रांत मैसी के पक्के फैन है तो यह फिल्म आपके लिए सोने पर सुहागे का काम करेगी। करीब 2 घंटे 7 मिनट की यह फिल्म कब पूरी हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा। फिल्म की कहानी में दर्शक पूरी तरह से डूब जाते हैं। आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।