Bandaa Singh Movie Review in Hindi: अरशद वारसी और मेहर विज की मुख्य भूमिका में Banda Singh Choudhary Movie रिलीज की गई थी। फिल्म को थिएटर में मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है। अगर आप भी यह फिल्म देखने की इच्छा रखते हैं, तो जेब खाली करने से पहले आपको एक बार फिल्म का रिव्यू जरूर पढ़ लेना चाहिए। फिल्म में गुमनाम नायकों की प्रेम कहानी और उनके जीवन के उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है। यह फिल्म 1975 की पृष्ठभूमि पर तैयार की गई है। आईए जानते हैं अरशद वारसी की बंदा सिंह चौधरी फिल्म कैसी है? और यह फिल्म आपको देखनी चाहिए या नहीं।
Bandaa Singh Movie Review in Hindi
बंदा सिंह चौधरी फिल्म 25 अक्टूबर 2024 को सिनेमाघर में रिलीज की गई थी। जिसमें अरशद वारसी और मेहर विच ने मुख्य भूमिका निभाई है। इनके अलावा फिल्म में सचिन नेगी, अलीशा चोपड़ा, जीवेषू अहलूवालिया और शिल्पी मारवाह जैसे कलाकारों ने अहम भूमिका निभाई है। फिल्म का डायरेक्शन अभिषेक सक्सेना द्वारा किया गया है। जबकि मनीष मिश्रा फिल्म के प्रोड्यूसर है।
बंदा सिंह चौधरी फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी 1975 के पंजाब के सेट पर सजाई गई है। जहां बंदा सिंह चौधरी एक सिख लड़की जिसका नाम लल्ली है। से प्यार कर बैठता है। दोनों की प्रेम कहानी को बढ़ावा मिलता है। और दोनों शादी करके अपने खुशहाल जीवन की शुरुआत करते हैं। उनको एक बेटी भी होती है। वह अपने छोटे से परिवार के साथ काफी खुश है। बंदा सिंह के पूर्वज करीब 4 पुश्तों पहले पंजाब आए थे और यही के होकर रह गए। बंदा सिंह चौधरी का एक करीबी दोस्त जीवेश वालिया है। दोनों का परिवार काफी मिलजुल कर रहता है। मगर उनके परिवार की खुशियां ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती।
भारत और पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के बाद पंजाब में आतंकवादी बांग्लादेश विभाजन का बदला लेने के लिए घुस जाते हैं। बंदा सिंह का पूरा गांव दहशत के साये में जी रहा है। आतंकियों का ऐलान है कि सभी हिंदू अपने घर छोड़कर पंजाब से बाहर चले जाए। किसी भी सिख परिवार को हिंदू परिवार के साथ संबंध रखने की इजाजत नहीं है। जो कोई ऐसा करेगा उसका पूरा परिवार मार दिया जाएगा। इन आतंकियों के हाथों बंदा सिंह का जिगरी दोस्त जीवेश वालिया मारा जाता है।
पूरे पंजाब में धर्म के नाम का जहर घोला जा चुका है। अब अकेला बंदा सिंह चौधरी अपने परिवार और अपने गांव की इन आतंकियों से कैसे रक्षा करेगा? और अपने दोस्त की मौत का बदला कैसे लेगा? यही सब कुछ इस फिल्म में दिखाया गया है।
बंदा सिंह चौधरी फिल्म रिव्यू
फिल्म की कहानी में काफी दम और जोश भरा है। मगर असल में यह फिल्म इतनी असरदार नहीं है। फिल्म का निर्देशन काफी कमजोर है। फिल्म काफी धीमी गति से आगे बढ़ती है। जो दर्शकों को बोर कर देती है। इस तरह की फिल्मों में धार्मिक मुद्दों और आतंकवादी जैसे गंभीर विषयों से दर्शकों पर खास प्रभाव पड़ता है। मगर इस फिल्म में ऐसा कुछ भी महसूस नहीं होता है। फिल्म ज्यादातर समय बिना किसी स्वाद के आगे बढ़ती जाती है।
दूसरी ओर फिल्म के सिनेमैटोग्राफी काफी बेहतर है। जिसका पूरा श्रेय सिमरजीत सिंह और सुमन को जाता है। सिनेमैटोग्राफी और फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक आपको 1975 के दौर में होने का अनुभव कराता है।
फिल्म का गाना “सुन बंदेया” भी फिल्म की स्थिति और कहानी के साथ अच्छा तालमेल बिठाता है। सुखविंदर सिंह और आनंद भास्कर की आवाज में गाना दर्शकों की आत्मा को छूता है। फिल्म में सस्पेंस लगभग न के बराबर है। हर दूसरें सीन का दर्शक आराम से अनुमान लगा सकते हैं।
कलाकारों का अभिनय कैसा है
फिल्म के कलाकारों का प्रदर्शन शानदार है। अरशद वारसी ने बंदा सिंह चौधरी के किरदार को न सिर्फ निभाया है। बल्कि जिया है। उनके साथ प्रेमिका और पत्नी के रूप में मेहर विच ने भी सराहनीय प्रदर्शन किया है। दोनों की जोड़ी खूब पसंद की जा रही है। सहायक भूमिका में जीवेशु के किरदार ने भी खूब सुर्खियां बटोरी है। हालांकि उनकी पत्नी के किरदार में शिल्पी मारवाह का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर और बनावटी लगता है।
फिल्म की कहानी के मुताबिक यह फिल्म काफी बेहतरीन ढंग से तैयार की जा सकती थी। फिल्म का निर्देशन थोड़ा और बेहतर ढंग से किया जाना चाहिए था। यह फिल्म कई किरदारों के संघर्षों को दिखाने का प्रयास करती है। इसके बजाय केवल बंदा सिंह के किरदार पर ध्यान केंद्रित किया जाना जरूरी था। एडिटिंग टेबल पर फिल्म की अवधि को कम कर सकते थे। हालांकि निर्माताओं ने इसको इतना महत्व नहीं दिया। और फिल्म जबरन खींचती चली गई।
फिल्म देखनी चाहिए या नहीं
अगर आपको ऐतिहासिक घटनाओं और आतंकवादी जैसे विषयों पर फिल्में देखने की रुचि है। तो आप यह फिल्म देख सकते हैं। मगर यह फिल्म आपको ज्यादातर समय बोर महसूस कर आएगी। और ऐसा महसूस होगा जैसे फिल्म की कहानी बिना किसी उद्देश्य के ही घुमा फिरा कर समय पूरा कर रही है।