बीजेपी से समाजवादी पार्टी तक का सफर… जानिए इन नेताओं ने क्यों बदला था सियासी रास्ता

By: महेश चौधरी

Last Update: July 19, 2025 11:44 AM

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वैसे तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पकड़ काफी मजबूत रही है। बावजूद इसके कुछ ऐसे भी नेता हैं जिन्होंने पार्टी की आंतरिक हलचल और कामकाज से असहमति जताते हुए पार्टी का साथ छोड़ दिया। जिससे बीजेपी की मजबूती और क्षेत्रीय राजनीति पर भी काफी असर पड़ा है। आइए जानते हैं ऐसे ही पांच बीजेपी नेताओं के बारे में जिन्होंने BJP पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थामा।

स्वामी प्रसाद मौर्य

उत्तर प्रदेश में भाजपा राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य एक बड़ा नाम हुआ करते थे। जो पार्टी से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं। साल 2016 में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने साल 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई थी। हालांकि 2022 में इन्होंने बीजेपी का भी साथ छोड़ समाजवादी पार्टी का रुख कर लिया। स्वामी प्रसाद का भाजपा छोड़ने का कारण उनकी पार्टी के आंतरिक मतभेद थे।

रोशन लाल वर्मा

रोशन लाल वर्मा ने यूपी सहारनपुर जिले से लगातार तीन बार विधायक का चुनाव जीता था। उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से हुई थी। मगर आगे चलकर उन्होंने बीजेपी का दामन थामा और साल 2017 में बीजेपी के टिकट से विधायक का चुनाव जीता। आगे चलकर वह भी बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

बृजेश प्रजापति

बृजेश प्रजापति भी बीजेपी के जाने-माने नेता रहे हैं। जो खासकर क्षेत्रीय राजनीति पर अपना शिकंजा कसने में माहिर थे। बृजेश प्रजापति ने साल 2017 में बीजेपी ज्वाइन कर बांद्रा जिले के तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनाव जीता। मगर साल 2022 के चुनाव से पहले ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

धर्म सिंह सैनी

धर्म सिंह सैनी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने औषधि प्रशासन, खाद्य सुरक्षा और आयुष जैसे विभागों में भी अहम पद संभाला है। साल 2017 बीजेपी में शामिल होकर मंत्री बने धर्म सिंह सैनी ने साल 2022 के चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी और सपा से हाथ मिलाया। धर्म सिंह सैनी ने पार्टी छोड़ने की वजह सामाजिक न्याय और पिछड़ों के अधिकार को बताया।

मुकेश वर्मा

मुकेश वर्मा ने साल 2017 में पहली बार बीजेपी पार्टी से टिकट लेकर विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। वह फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद सीट से विधायक बने थे। मगर भाजपा पार्टी के साथ उनका गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चला। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ही पार्टी पर दलित और पिछड़े वर्गों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए साथ छोड़ दिया और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।