कभी जिनके गाने सुनकर रो पड़ते थे लोग… आज उनकी कोई खबर तक नहीं

By: महेश चौधरी

Last Update: July 19, 2025 11:26 AM

90s singer
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90 का दशक फ़िल्मी दुनिया का सुनहरा दौर था. जिसमें फिल्मों के साथ-साथ फैशन और संगीत का भी काफी क्रेज उभरने लगा था. गाने लोगों की धकड़ने बने हुए थे. इस समय कुमार सानू, अलका याग्निक और उदित नारायण जैसे नाम घर घर में गूँजते थे। मगर कुछ ऐसे भी कलाकार थे जिन्होंने अपने चंद गानों से ही अपार नाम और शोहरत तो हासिल तो कर ली थी, मगर ज्यादा दिनों तक इनकी भी दाल नहीं गली. इस लेख में हम ऐसे ही दिग्गज भूले-बिसरे गायकों के बारें में बात करेंगे जो समय के साथ इंडस्ट्री से बिछड़ गए मगर उनकी आवाज आज भी जिन्दा है.

अल्ताफ राजा

अल्ताफ राजा 90 के दशक के जाने-माने गायक जिन्होंने अपने नॉन फिल्मी एल्बम “तुम तो ठहरे परदेसी” से रातों-रात स्टारडम कायम कर लिया था। जिसकी लगभग 40 लाख कॉपियां उस जमाने में बिकी थीं। जो अपने आप में ही एक पहाड़ जैसा रिकॉर्ड था। उनकी शायरी और रूहानी आवाज दर्शकों के दिलों पर सीधा असर करती थी। रातों-रात चमकने के बाद यह कलाकार 2000 के दौर में धीरे-धीरे गुमनाम होता गया। बदलते ट्रेंड और वीडियो सोंग्स की लोकप्रियता ने अल्ताफ को अंधेरे में धकेल दिया। अब वह स्टेज शो करते हैं। लेकिन पहले जैसा उनका दबदबा नहीं रहा।

 पूर्णिमा श्रेष्ठ

गायिका पूर्णिमा ने बतौर चाइल्ड कलाकार इंडस्ट्री में कदम रखा था. इनका असली नाम सुषमा श्रेष्ठ है. इन्होंने बीवी नंबर वन, कुली नंबर वन और जुड़वा जैसी हिट फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है. इनके “तू तू तू तू तारा” और “चने के खेत में” जैसी ब्लॉकबास्टर गानों ने इन्हें क्वीन का ताज पहनाया। मगर ये एक ताज को लम्बे समय तक नहीं संभाल सकी. आज के समय में वह फिल्मी दुनिया से दूर अपने परिवार से ज़िंदगी जी रही हैं और आमदनी के लिए  जिंगल्स और स्टेज शोज़ का काम करती है.

बाली ब्रह्मभट्ट

बॉलीवुड में जब रैप एक नया ट्रेंड था, तब बाली ब्रह्मभट्ट ने रैप गानों में अपनी खास ख्याति बनाई हुई है. इन्हें अपने ज़माने का रैप बादशाह कह सकते हैं. इन्होंने  “लेना है लेना है”, “अम्मा देख मेरा मुंडा बिगड़ा जाए” और “पंप अप द भंगड़ा” गानों से सुनामी ला दी. शादी पार्टी हो या क्लब हर जगह बाली ब्रह्मभट्ट की आवाज गूँजती थी. मगर 2000 तक आते आते यह दिग्गज भी ओझल हो गया और अब लंदन में रेडियो जगत में नौकरी करते हैं.

सुनीता राव

सुनीता राव ने का झुखाव  पर्यावरण जैसे सामाजिक विषयों पर थोड़ा ज्यादा था. उन्होंने परी हूं मैं, दहका-दहका और केसरिया जैसे सूफी पॉप गानों से पहचान तो बना ली थी मगर समय ने उन्हें भी डाउन फॉल का सामना करा ही दिया। वह आज के समय में भी संगीत जगत में ही कर रही है मगर मीडिया और सुर्खियों से बचते हुए।

शब्बीर कुमार

फेमस गायक शब्बीर कुमार की आवाज में वो दर्द और मिठास था, जिसने उन्हें मोहम्मद रफी की परछाई बनता था. उन्हें “गोरी हैं कलाईयां” और “जो भी होगा देखा जायेगा” जैसे हिट गानों ने पहचान तो दिला दी मगर समय के साथ दर्शकों की बदलती पसंद ने जल्द ही छीन भी ली. नए और बेहतर कलाकारों ने उनसे मौके छीन लिए. समय के साथ शब्बीर कुमार का भी बोरियाँ बिस्तर सिमत गया. आजकल वे स्टेज शोज में ही नजर आते है.