प्रतीक गांधी और दिव्येंदु स्टारर फिल्म अग्नि अमेजॉन प्राइम वीडियो पर 6 दिसंबर को रिलीज कर दी गई है। फिल्म काफी हटकर कॉन्सेप्ट के साथ दर्शकों का मनोरंजन करती है। जो देश के रियल सुपर हीरोज के जीवन और संघर्ष को करीब से दिखाने का काम करती है। कैसे फायर फाइटर अपनी जान की परवाह किये बगैर आगजनी में फंसे लोगों की मदद करते हैं। जहां एक और लोग आग लगने पर आग से दूर भागते हैं, वही फायर फाइटर उल्टा आग की ओर भागते हैं। दर्शक कुछ ऐसी ही जबरदस्त इमोशनल और प्रेरणादायक कहानी में डूबे रहते हैं। फिल्म के रिव्यू भी सामने आ चुके हैं। आइए जानते हैं अग्नि फिल्म कैसी है? और यह फिल्म आपको किन वजहों से देखनी चाहिए।
अग्नि फिल्म की स्टार कास्ट
फिल्म में मुख्य भूमिका में प्रतीक गांधी (विट्ठल राव) और दिव्येंदु शर्मा (समित सावंत) नजर आते है. इनके आलावा जीतेन्द्र जोशी, साई ताम्हणकर, सैयामी खेर जैसे कलाकरों ने सहायक भूमिका निभाई है. फिल्म की कहानी विजय मौर्य और राहुल ढ़ोलकिया ने लिखी है। इसका डायरेक्शन भी राहुल ढ़ोलकिया द्वारा किया गया है। इन्होंने एक ऐसे सब्जेक्ट को चुना है, सीधे रूप से यह बताने की कोशिश करती है कि आखिर फायर फाइटर लोगों से क्या उम्मीद रखते हैं। जहां लोगों को उनके काम के लिए मेडल मिलते हैं, वही फायर फाइटर्स को जरूरत पड़ने पर मेडिकल सुविधाएं भी नहीं मिलती। यह फिल्म फायर फाइटर्स के कायदे की बात करती है।
क्या है अग्नि फिल्म की कहानी
फिल्म में विट्ठल राव एक फायर स्टेशन का हेड है। जो अपनी टीम के साथ हर आगजनी घटना में अपनी जान दाव पर लगाकर लोगों की जान बचाने की कोशिश करता है। दूसरी और उसका साला समित सावंत पुलिस ऑफिसर है और उससे काफी ज्यादा अमीर है। विट्ठल राव का बेटा अपने फायर फाइटर पापा की तरह न बनाकर अपने मामा की तरह बनना चाहता है और मामा को ही हीरो मानता है। यह बात कहीं ना कहीं विट्ठल को भी चुभती है।
फिल्म यही सब कुछ दिखाने का काम करती है, कि आखिर फायर फाइटर्स को उतने मान-सम्मान और गरिमापूर्ण नजरों से क्यों नहीं देखा जाता, जितना वे हक रखते है। कहानी कुछ इसी तरीके से बुनी गई है, कि दर्शकों का दिल छू जाए। फायर फाइटर्स किन-किन चुनौतियों का सामना करके लोगों की जान बचाते हैं? और बदले में लोगों से क्या उम्मीद रखते हैं? यह तो आपको फिल्म देखकर समझ आ ही जाएगा।
अग्नि मूवी रिव्यू हिंदी में
फिल्म काफी असरदार है। जिसे देखने के बाद फायर फाइटर्स को देखने का नजरिया बदल जाएगा। यकीन मानो फिल्म देखने के बाद आपको भी फायर फाइटर्स के नाम एक सलूट करने का मन करेगा। फिल्म काफी अच्छी गति से आगे बढ़ती है और दर्शकों को बिल्कुल भी बोर नहीं करती। इसे दिल्ली के वातावरण में फिल्माया गया है। जिसमें बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में लगी आग की घटनाएं एकदम बेहतरीन ढंग से फिल्माई गई है।
जिस तरह से फिल्म का फिल्मांकन किया गया है, वह एकदम लाजवाफिल्म शुरुआत के कुछ मिनटों में ही अपनी मूल कहानी की डोर पकड़ लेती है। जिसे समझने में दर्शकों को जरा भी देरी नहीं लगती। इसमें सस्पेंस, ड्रामा और भरपूर इमोशनल डोज मिलता है। साथ ही लोगों के आग में फंसे होने के सीन दर्शकों को रोंगटे खड़े कर देते हैं। वे ऐसा अनुभव करते हैं जैसे वे खुद किसी आग लगी बिल्डिंग के बाहर खड़े होकर ये दृश्य देख रहे हो। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक दर्शकों को वास्तविकता का अनुभव कराता है। जिस तरह आग लगने पर लोगों के चिल्लाने-घबराने और भगदड़ मचने की आवाज आती है, वह एकदम रियल है।
कलाकारों का अभिनय कैसा है?
प्रतीक गांधी ने अपने फायर फाइटर किरदार को जीवंत कर दिया है। साथ ही उन्होंने एक पति और पिता के किरदार को भी काफी बेहतरीन ढंग से निभाया है। मुंबई की भाषा शैली और आम जिंदगी कि उन्हें अच्छी समझ है। ओवरऑल उनकी परफॉर्मेंस फिल्म में जान डाल देती है। दूसरी ओर दिव्येंदु शर्मा ने भी मुंबई की आम भाषा और जीवन शैली को गहराई से पकड़ा है। फायरफाइटर की पत्नी के किरदार में साई तमहन्कर ने भी अच्छा सपोर्ट किया है।
अग्नि फिल्म देखनी चाहिए या नहीं
फिल्म एक ऐसे सब्जेक्ट के साथ तैयार की गई है, जिसे बेशक लोग नजरअंदाज कर देते हैं। मगर समाज में इनका दर्जा काफी ऊंचा है। यानी यह फिल्म मनोरंजन का ही नहीं बल्कि एक प्रेरणा का भी स्रोत है। जिसे आपको जरुर देखना चाहिए। यह फिल्म आपको देश के रियल सुपर हीरो से मिलवाने का काम करती है। इसे आप अमेजॉन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं।