इलेक्शन कमीशन ने उत्तर प्रदेश के 119 राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह वे राजनीतिक दल है जिन्होंने पिछले 6 सालों में एक बार भी चुनाव नहीं लड़ा। तय समयसीमा में जवाब न देने पर इनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। इससे पहले भी इलेक्शन कमीशन ने निष्क्रिय दलों पर कैंची चलाई थी। जिसमें 537 गैर सक्रिय दलों पर कार्यवाही की गई थी।
119 पार्टियों को EC ने भेजा कारण बताओ नोटिस
इलेक्शन कमिशन ने निष्क्रिय राजनीतिक पार्टियों पर कैंची चलाई है। इलेक्शन कमीशन के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने उन सभी पार्टियों को कारण बताओं नोटिस भेजा है, जिन्होंने पिछले 6 सालों (2019 के बाद) में एक बार भी चुनाव नहीं लड़ा। EC ने नोटिस पार्टियों को पंजीकृत पते पर डाक के जरिए भेजा है। इन पार्टियों के अध्यक्ष या महासचिव 14 जुलाई को या 21 जुलाई को मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकते हैं।
अगर निर्धारित समय सीमा में निष्क्रिय पार्टियों ने जवाब नहीं दिया तो यह माना जाएगा कि यह पार्टीयां इस मामले में अपना पक्ष नहीं रखना चाहती। इन्हें राजनीतिक दलों की सूची से हटाने का समन भारतीय निर्वाचन आयोग को भेज दिया जाएगा।
537 गैर-सक्रिय दलों के खिलाफ कार्रवाई हुई
इलेक्शन कमीशन समय-समय पर निष्क्रिय दलों पर कार्यवाही करता रहा है। पहले भी इलेक्शन कमीशन ने देशभर में करीब 537 निष्क्रिय दिलों के खिलाफ कार्यवाही की थी। जिनमें से करीब 86 दल गैर मौजूद पाए गए थे। जिन्हें पंजीकरण सूची से हटा दिया गया। साथ ही 253 निष्क्रिय दलों को निष्क्रिय घोषित किया गया था, जिनमें से 34 दल उत्तर प्रदेश के थे।
क्या कहता है नियम
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अनुसार देश में सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को नियमित रूप से चुनावों में भाग लेना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में उनका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। क्योंकि इन दलों को आयकर अधिनियम की धारा 13A के तहत टैक्स में छूट, प्रचारक की नियुक्ति और चुनाव चिन्ह का आवंटन जैसे कई लाभ दिए जाते हैं। ऐसे में निष्क्रिय दल इन लाभों का दुरुपयोग कर सकते हैं। जिसको देखते हुए चुनाव आयोग ने यह कार्यवाही की है।












