पीएम मोदी की अध्यक्षता में बीते बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश में जाति जनगणना (Caste Census) को मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस के विरोध के कारण 1947 के बाद भारत में जाति जनगणना नहीं हुई। इसकी जगह जाति सर्वे करवाया गया है। भारत में अंतिम बार साल 2011 में जनगणना कराई गई थी। जबकि इससे पहले पूर्ण जाति आधारित जनगणना 1931 में अंग्रेजों के काल में कराई गई थी। अब एक बार फिर मोदी सरकार ने देश में जाति के आधार पर जनगणना करने की मंजूरी दे दी है।
जाति जनगणना कैसे की जाति है और कौन करता है?
भारत में जनगणना हर 10 साल में एक बार की जाती है। जिसे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत का जनगणना निदेशालय संचालित करता है। परंपरागत जनगणना में धर्म, जाति, लिंग, शिक्षा आदि संबंधित आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। लेकिन भारत में साल 1931 के बाद से ही जाति आधारित जनगणना के आंकड़े उपलब्ध नहीं है।
जाति जनगणना में लोगों से उनकी जाति पूछी जाती है और उसका एक शुद्ध रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया ग्रामीण स्तर से शुरू होकर राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर तक की जाती है। हाल ही में कुछ राज्यों जैसे बिहार ने अपने स्तर पर राज्य जाति सर्वेक्षण किया। जिससे पता चलता है कि जातिगत आंकड़े सामाजिक योजनाओं के निर्धारण में कितने जरूरी है। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने जाति जनगणना का फैसला किया है।
सरकारी योजनाओं के लिए जातिगत आंकड़ों की उपयोगिता | जाति जनगणना के फायदे
जातिगत जनगणना (Caste Census) से मिलने वाले आंकड़े सरकार को यह समझने में मदद करते हैं कि कौन-कौनसे सामाजिक वर्ग सबसे ज़्यादा वंचित हैं और किस वर्ग के लोगों को सबसे ज़्यादा सरकारी मदद की ज़रूरत है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आर्थिक सहायता योजनाओं को बेहतर तरीके से लक्षित किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी क्षेत्र में अनुसूचित जाति (SC) या पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी अधिक है और शिक्षा स्तर कम है, तो वहां विशेष शैक्षणिक योजनाएं बनाई जा सकती हैं। जबकि जाति के आधार पर डेटा की कमी के चलते कई बार नीतियां गलत दिशा में भी चली जाती हैं।
निजी कंपनियों और संस्थाओं के लिए जाति डाटा कितना मायने रखता है?
हालांकि निजी कंपनियों के लिए जातिगत आंकड़े सीधे रूप से जरूरी नहीं होते। लेकिन कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत जब ये कम्पनियां समाज सेवा के प्रोजेक्ट करती है तो उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि किस क्षेत्र में कौनसी जाति या के समुदाय को उनकी मदद की जरूरत है।