मध्य प्रदेश की भाजपा राजनीति में कई नेता अपने जमाने में काफी प्रभावशाली माने जाते थे। मगर आज बीजेपी के ये वरिष्ठ नेता गुमनामी के दौर से गुजर रहे हैं। जो वरिष्ठ नेता कभी सत्ता और संगठन दोनों का चेहरा माने जाते थे, जिनका बड़ा दबदबा था। आज वे अपने पुराने दिन याद करते हैं। उन्हें सत्ता में कोई जिम्मेदारी नहीं मिल रही है। चलिए जानते हैं बीजेपी के ऐसे ही गुमनाम नेताओं के बारे में जो अपने पुराने दिनों की उम्मीद में आस लगाए बैठे हैं।
क्यों किया बीजेपी ने इन नेताओ को साइड
समय बड़ा बलवान होता है… जो भाजपा नेता एक समय मध्य प्रदेश में भाजपा राजनीति की भागदौड़ संभालते थे, वे आज पार्टी में एक छोटी सी भूमिका के लिए तरस रहे हैं। वर्तमान राजनीति में ये नेता पूरी तरह से गुमनाम हो चुके हैं। बदलते समय और बदलती राजनीतिक के चलते पार्टी ने इन नेताओं को दरकिनार कर दिया है। अब इन नेताओं को अपने पुराने दिन याद आते हैं। इस लिस्ट भाजपा नेता गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल, अनूप मिश्रा, पारस जैन, ओमप्रकाश सखलेचा (पूर्व MSME मंत्री) और अरविंद भदौरिया जैसे वरिष्ठ नेताओं का नाम आता है। कई नेता तो चुनाव हार गए मगर कुछ नेता जीत के बावजूद मंत्रिमंडल में अपनी लिए एक पद भी पक्का नहीं कर पाए। नरोत्तम मिश्रा और कमल पटेल जैसे चेहरे जो कभी मीडिया की सुर्खियों में छाए रहते थे आज उन्हें कोई फुटेज नहीं दे रहा।
राजनीति का नियम या मजबूरी ?
वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में अपनी भूमिका के लिए तरसता देख सवाल खड़े होते हैं.. सत्तादारी भाजपा नेता बताते हैं कि यह राजनीति का नियम है समय के साथ बदलाव को स्वीकार किया जाता है। हर व्यक्ति राजनीति में बहुत ज्यादा लंबे दिनों तक नहीं चल पाता है। जबकि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर तंज कसता आया है। हालांकि कुछ नेताओं ने यह भी कहा है कि बीजेपी आरएसएस के इशारों पर चल रही है। नामी नेताओं से अपना काम निकलवाने के बाद उन्हें चाय में पड़ी मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया जाता है।












