उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले पंचायती चुनावों की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। ग्राम पंचायतों के आंशिक पुनर्गठन का काम पूरा करने के बाद अब वार्डों के पुनर्गठन का काम भी प्रगति पर है। करीब 504 ग्राम पंचायतों की कसौटी करने की वजह से वार्डों के भूगोल में भी बड़ा परिवर्तन होने वाला है और करीब 4608 ग्राम पंचायत वार्डों की संख्या कम हो सकती है। चलिए उत्तर प्रदेश के पंचायती चुनाव से जुड़े अहम पहलुओं की जानकारी पर नजर डालते हैं.
पंचायती राज क्या है, ये अधिनियम कब आया
भारत में पंचायती राज प्रशासनिक और विकासात्मक जिम्मेदारियां की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पंचायती राज व्यवस्था संविधान के 73वें संशोधन के साथ साल 1992 में की गई थी। इस संशोधन को पंचायती राज अधिनियम के नाम से जानते हैं। जिसमें तीन स्तर की व्यवस्था का गठन हुआ… ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत या ब्लॉक और जिला पंचायत।
परसीमन प्रक्रिया क्या होती है?
परसीमन प्रक्रिया के माध्यम से निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण किया जाता है। ताकि सभी क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या लगभग एक समान रहे और प्रत्येक वोट का महत्व बना रहे। उत्तर प्रदेश में लगातार परसीमन प्रक्रिया के जरिए वार्डों की संख्या में फेर बदल देखने को मिला है। करीब 1000 लोगों की जनसंख्या पर 9 वार्ड बनाए जाते हैं। जबकि 3000 से ज्यादा लोगों की जनसंख्या होने पर केवल 15 वार्ड बनाए जा सकते हैं।
महिलाओं पुरुषों के लिए आरक्षण (नारी शक्ति वंदन अधिनियम)
ग्राम पंचायत चुनाव में महिलाओं, अनुसूचित जनजाति, और पिछड़ा कमजोर वर्ग को विशेष आरक्षण दिया गया है। हालांकि यह आरक्षण हर चुनावी प्रक्रिया में रोटेशन आधार पर बदलता भी है। जैसे…जिस सीट पर मौजूदा समय में महिला प्रधान बनी हुई है। अगली बार उस सीट के लिए पुरुष उम्मीदवार भी चुनाव लड़ने के योग्य माना जाएगा।
ग्राम प्रधान की क्या होती हैं शक्तियां?
ग्राम पंचायत में सबसे महत्वपूर्ण और ऊंचा पद ग्राम प्रधान का होता है। जो गांव का प्रतिनिधि होता है। जिसे कई शक्तियां और जिम्मेदारियां दी जाती है।
- ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत के सभी कार्यों से जुड़ी बैठकों का नेतृत्व करता है। जिसमें गांव के विकास पर चर्चा होती है और युवाओं को अपना विचार रखने का अवसर प्रदान किया जाता है।
- ग्राम प्रधान यह सुनिश्चित करता है कि गांव के किसी योग्य व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
- गांव में सड़क व्यवस्था, जल व्यवस्था, बिजली व्यवस्था और साफ सफाई आदि का प्रबंधन ग्राम प्रधान की देखरेख में होता है।
- ग्रामीण विकास के लिए सरकार से मिले फंड का उचित उपयोग करके विकास की सीढ़ियां चढ़ना और फंड का सही से लेखा-जोखा रखना ग्राम प्रधान की जिम्मेदारी होती है।