Zebra Movie Review in Hindi: ट्विस्ट ऐसा की पलके भी नहीं झपका पाओगे

Zebra Movie Review in Hindi: सत्यदेव कांचराना स्टारर फिल्म जेब्रा थियेटर्स में रिलीज कर दी गई है। फिल्म काफी अलग कॉन्सेप्ट के साथ दर्शकों का मनोरंजन करती है। शुरुआत बेशक थोड़ी ठंडे तरीके से होती है, मगर एक बार जब फिल्म पटरी पर आ जाती है, तो दर्शकों की पलके भी नहीं झपकती। फिल्म को हिंदी, तमिल, तेलुगू और इंग्लिश भाषाओं में रिलीज किया गया है। अगर आप भी यह फिल्म देखने की योजना बना रहे है, तो आपको पहले Zebra Movie Review जान लेने चाहिए। ताकि आप वास्तविक रूप से यह समझ सके कि आपको यह फिल्म देखनी चाहिए या नहीं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानकारी लेते हैं।

Zebra फिल्म कास्ट और क्रू

फिल्म में सत्यदेव कांचराना और धनंजय ने मुख्य भूमिका निभाई है। इनके साथ प्रिया भवानी शंकर, जेनिफर, कॉमेडियन सुनील और सत्या जैसे कलाकारों ने अभिनय किया है। फिल्म का डायरेक्शन ईश्वर कार्तिक ने किया है। यह एक्शन-ड्रामा और थ्रिल का अनुभव कराने वाली फिल्म है।

जेब्रा फिल्म की कहानी

सूर्या (सत्यदेव) एक बैंक कर्मचारी है। जिसे बैंक के सिस्टम के सभी खामियां पता है। मगर वह हमेशा अपनी ईमानदारी पर टिका रहा है। सूर्या की गर्लफ्रेंड स्वाति (प्रिया) है। सूर्या स्वाति की मदद करता है। जिसके चलते वह एक बड़ी मुसीबत में फंस जाता है। दरअसल स्वाति की मदद करने के चलते सूर्या को एक लंबे समय से निष्क्रिय खाते से ₹200000 गैरकानूनी तरीके से निकलने की नौबत आ जाती है।

यह खाता किसी आम इंसान का नहीं बल्कि एक बहुत बड़े अपराधी का है। जिसके लिए ₹200,000 तो कोई बड़ी चीज नहीं थी। मगर उसके खाते से पैसे निकलने के कारण दूसरे अपराधियों के सामने उसकी मजाक बन जाती है। जिसके बाद वह हाथ धोकर सूर्या के पीछे पड़ जाता है। और उसे चार दिनों के अंदर 5 करोड रुपए देने को कहता है। यहां से सूर्या की जिंदगी पूरी तरह से उत्तर-पुथल हो जाती है। अब सूर्या इस गैंगस्टर से अपना पीछा कैसे छुड़ाएगा? यही सब कुछ इस फिल्म में दिखाया गया है।

Zebra Movie Review in Hindi | डायरेक्शन कैसा है?

फिल्म का डायरेक्शन काफी बेहतर ढंग से किया गया है। हालांकि इसमें कुछ छोटी-मोटी गलतियां भी है। डायरेक्टर ने बैंक के वातावरण को काफी बारीकी से दिखाया है। हालांकि बैंक में कुछ ऐसे भी सीन दिखाएं जाते हैं, जिनका कोई अर्थ नहीं है और उनके कारण फिल्म के केंद्र का प्रभाव कम हो जाता है। दर्शकों को बैंकिंग उद्योग के शब्दों के मायाजाल में फंसाने के बजाय फिल्म की कहानी को काफी साधारण तरीके से पेश किया गया है।

ताकि दर्शकों को आसानी से समझ आ सके। सूर्या के हाथों से 2 लाख रुपए गैरकानूनी तरीके से निकलवाने का घटनाक्रम भी काफी रोमांचक तरीके से उद्देश्य की पूर्ति करता है। जिससे कहानी अपनी पटरी पर चढ़ती है। कुछ खामियां होने के बावजूद फिल्म की दिलचस्प कहानी, रोमांटिक सीन और कलाकारों के शानदार अभिनय के कारण फिल्म दर्शकों का अच्छा मनोरंजन करती है।

फिल्म को संगीत देने का जिम्मा केजीएफ स्टार रवी बसरूर को दिया गया है। जिसमें वे उम्मीदों पर एकदम खरे उतरे हैं। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक दर्शकों पर खास प्रभाव डालता है और सस्पेंस बढ़ता है। कलाकारों के प्रदर्शन भी जबरदस्त है। सूर्या और स्वाति की लव केमिस्ट्री दर्शकों को खास पसंद आई है। हालांकि अमृता का फिल्म में कोई खास काम नहीं था। उनका कैमियो जबरन ठूंसा हुआ महसूस होता है। बाकी मदन गुप्ता का किरदार थोड़ा बहुत जेलर फिल्म की याद दिलाता है। सत्यराज ने भी पिता की भूमिका में सराहनीय काम किया है।

फिल्म देखनी चाहिए या नहीं 

अगर आपको एक्शन-ड्रामा और रोमांस वाली फिल्में देखने की रुचि है, तो Zebra फिल्म आपको आवश्यक रूप से देखनी चाहिए। बेशक फिल्म में ट्विस्ट आने में थोड़ी देर हो जाती है। मगर जब एक बार फिल्म पटरी पर चढ़ती है, तो आपकी सारी शिकायतें दूर हो जाएगी।

Share This Article
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Leave a Comment