Ai का हो रहा है इन क्षेत्रों में जमकर इस्तमाल, Ai खतरा बनेगा या वरदान…

साल 2022 में CHAT GPT के आने के बाद से ही इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दबदबा काफी बढ़ा है। हर कोई Ai को लेकर तरह-तरह के मत दे रहा है। कोई इस वरदान तो कोई से दुनिया के लिए खतरा बता रहा है। फादर ऑफ़ Ai कहे जाने वाले शख्स ने भी इसे दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बताया है। हालांकि आई के कई क्षेत्रों में जबरदस्त कारनामे सामने आ रहे हैं। जिनको देख हर कोई हैरान है। आईए Ai से जुड़ी कुछ ऐसे कामों के बारे में जानते हैं जो Ai को ओर गहराई से समझने में मदद करेंगे। 

Ai का हो रहा है इन क्षेत्रों में इस्तेमाल 

कोड लिखना हो या फिर टेक्स्ट से इमेज बनानी हो एआई बहुत कम समय में बहुत ही सटीकता के साथ करता आया है। कई घंटे के कोड यह सिर्फ सैकड़ो में जनरेट करके दे देता है। शुरुआत में तो इसके इस्तेमाल काफी सीमित तक नजर आ रहे थे। लेकिन समय के साथ इसका इस्तेमाल और इसका खतरा काफी ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है। 

एआई का इस्तेमाल अब कंस्ट्रक्शन से लेकर मेडिकल और एजुकेशन सभी फिल्डो में हो रहा है। एआई के इन जबरदस्त कारनामों को देखकर हर कोई कह रहा है कि इसके मूलभूत सिद्धांतों को ही बदल दिया गया है। शुरुआती दौर में तो लगता था कि एआई beginners के कार्यों को करने में सक्षम होगा लेकिन अब ऐसा लगता है कि Ai किसी भी काम को एक प्रोफेशनल की तरह करने में सक्षम हो चुका है। 

मेडिकल जांच में Ai का इस्तेमाल

फेफड़ों से जुड़ी किसी भी प्रकार की बीमारी की जांच के लिए X-Ray कराना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए फेफड़ों की एक ही जांच में लगभग 16 से ज्यादा प्रकार की बीमारियों का तुरंत पता लगाया जा सकता है। जो लगभग 70% तक सटीक परिणाम देने में सक्षम है।

हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एक ऐसा मेडिकल टूल तैयार किया गया है जो डिजिटल एक्सरे मशीन में इंटीग्रेटेड होने के बाद फेफड़ों से जुड़ी सभी प्रकार की बीमारियों को पहचान कर उनके उपचार की सलाह भी देता है। 

गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर और देहरादून के ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सात्विक वत्स और उनके अन्य साथियों ने मिलकर इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेडीकल टूल को तैयार किया गया है। जिसे वर्तमान में भारत सहित मलेशिया, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका, अरबी अमीरात और स्पेन सहित अन्य कई देशों में किया जा रहा है। 

यह एआई टूल न सिर्फ फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को आईडेंटिफाई करता है बल्कि उनके उपचार की उचित सलाह भी देता है। 

यह फेफड़ों में होने वाली किसी भी प्रकार की बीमारी जैसे डायफ्राम की हर्निया, फेफड़ों की झिल्ली में सूजन, गांठ, फेफड़ों में पानी भरना, निमोनिया, कोविड कैंसर, और अन्य कई प्रकार की बीमारियों को आईडेंटिफाई करने में सक्षम है।

दुर्घटनाओं से बचाने के लिए Ai लैस कैमरा 

रक्षा मंत्रालय की ओर से सशस्त्र सेवा बलों के वाहनों में एआई से लैस कैमरा लगाए गए हैं। जिनको ड्राइवर फटीग मॉनिटरिंग सिस्टम का नाम दिया गया है। 

एआई आधारित इन कैमरों को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि अगर ड्राइवर सो जाता है या झपकी लेता है तो इसका अलर्ट उसके मॉनिटरिंग इंचार्ज को भेज दिया जाएगा। जिससे नींद आने की वजह से हो रहे हादसों को डाला जा सकेगा। इस सॉफ्टवेयर का निजात बेंगलुरु की BEML लिमिटेड कंपनी ने किया है।

ट्रेन से जानवरों को बचाने में Ai का इस्तेमाल 

भारत की इलेक्ट्रिकल लिमिटेड कंपनी द्वारा एक ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार की गई है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करती है। जिसकी मदद से ट्रेन के आगे आकर जानवरों के कटने से या फिर किसी इंसान द्वारा ट्रेन के आगे आकर अपने जीवन लीला समाप्त करने से रोकेगा। इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सॉफ्टवेयर को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि यह ट्रेन से लगभग 500 मीटर दूर खड़े किसी भी व्यक्ति या जानवर को आईडेंटिफाई करके अलर्ट अलार्म बजा देगा। 

इसके साथ ही अलर्ट अलार्म बजाने के साथ साथ जानवर या व्यक्ति का लाइव वीडियो भी ड्राइवर के आगे रखी स्क्रीन पर प्ले कर देगा। ताकि समय रहते ड्राइवर उसके लिए उचित कदम उठा सके। 

Dark Side of Ai

एआई का इस्तेमाल न सिर्फ अच्छी चीजों के लिए किया जा रहा है बल्कि इसका इस्तेमाल कुछ अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भी किया जा रहा है। दिन में सबसे ज्यादा डीप फेक एआई के मामले सामने आ रहे हैं। 

डीप फेक एआई एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें किसी एक व्यक्ति के चेहरे को हटाकर किसी अन्य व्यक्ति का चेहरा लगा दिया जाता है। और उस फोटो या वीडियो का इस्तेमाल करके उस व्यक्ति से पैसे लेने या फिर उसकी छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

जब से ऐसे मामले सामने आने लगे हैं भारत सरकार भी सख्ती बरतने लगी है। सरकार आने वाले समय में डीप फेक एआई से जुड़ा नया कानून पारित करने वाली है। इसके अलावा सरकार ने हाल ही में नया कानून लागू किया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तैयार किए गए वीडियो या फोटो में Ai का ट्रेडमार्क लगाना आवश्यक है। 

निष्कर्ष: इस लेख में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करवाई है। जिसमें Ai के इस्तेमाल और दुरुपयोग दोनों को शामिल किया गया है. इसका सोर्स गूगल है। जिसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो आप हमारी टीम को सूचित कर सकते हैं।

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