1999 से चले आ रहे दर्द का अंत, WTC Final 2025 में साउथ अफ्रीका ने हटाया चोकर्स का टैग

By: khabardaari.com

Last Update: June 15, 2025 7:35 AM

WTC Final 2025 Image
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दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम के नाम जब भी इतिहास के पन्नों में झाँका जाता है, एक शब्द बार-बार उभरकर आता है – “चोकर्स।” एक ऐसी टीम जो हर टूर्नामेंट में दावेदार तो बनती है, लेकिन निर्णायक मोड़ों पर बिखर जाती है। पर इस बार, 2025 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में इतिहास ने करवट ली और “उम्मीद” ने जीत का रास्ता दिखाया।

एक पैर पर खेला कप्तान, दूसरे ने दीवार बन रचा इतिहास

इस बार सामने खड़ी थी ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम, जिसके पास था ‘फाइनल लकी चार्म’ जोश हेजलवुड – जो अब तक कोई भी फाइनल मैच हारे नहीं थे। और दूसरी ओर थे दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा, जिनके नाम की तरह उनका जज़्बा भी उम्मीद से भरा था। उनकी दादी ने नाम रखा था टेम्बा – जिसका मतलब होता है “उम्मीद”।

फाइनल मैच में जब बावुमा बल्लेबाज़ी करने आए, तो उनकी हैमस्ट्रिंग खिंच गई। लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा। एक पैर पर टिककर उन्होंने 66 रनों की बहुमूल्य पारी खेली। दूसरी छोर पर खड़े थे एडन मार्करम, जो अंगद के पांव की तरह क्रीज में जमे रहे और 136 रन बनाकर जीत की नींव रख दी। नतीजा – दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप ट्रॉफी पर 27 साल बाद कब्जा जमाया।

ऐसा करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने एडेन काइल मार्करम

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के सलामी बल्लेबाज एडेन काइल मार्करम ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम में दर्ज करा दिया। लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर उन्होंने चौथी पारी में शानदार शतक लगाकर 41 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया।
मारक्रम चौथी पारी में लॉर्ड्स पर शतक जड़ने वाले पहले विदेशी सलामी बल्लेबाज बन गए हैं। इससे पहले यह कारनामा आखिरी बार 1984 में वेस्टइंडीज के दिग्गज गॉर्डन ग्रीनिज ने बनाया था।
एडन मारक्रम आईसीसी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाने वाले दुनिया के सिर्फ तीसरे बल्लेबाज भी बन गए हैं। उनसे पहले यह उपलब्धि सिर्फ अरविंदा डी सिल्वा (1996 वर्ल्ड कप फाइनल) और क्लाइव लॉयड (1975 वर्ल्ड कप फाइनल) के नाम रही थी।

बीते सालों की कड़वी यादें

दक्षिण अफ्रीका की कहानी सिर्फ जीत और हार की नहीं, बल्कि उम्मीद और टूटे सपनों की रही है।

  • 1998 में आखिरी बार उन्होंने ICC नॉकआउट ट्रॉफी जीती थी।
  • 1999 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल – वो रनआउट कौन भूल सकता है?
  • 2003 वर्ल्ड कप – श्रीलंका के खिलाफ DLS नियम में उलझकर टूर्नामेंट से बाहर।
  • और फिर 2024 T20 वर्ल्ड कप फाइनल – भारत के खिलाफ हाई वोल्टेज मुकाबला।

इस मैच में क्लासेन ने 27 गेंदों में 52 रन ठोककर मैच को लगभग दक्षिण अफ्रीका की झोली में डाल दिया था। 28 गेंद में 30 रन बचे थे। जीत की खुशबू आ रही थी, लेकिन अंतिम ओवर में हार्दिक पांड्या की पहली गेंद पर डेविड मिलर का शॉट सीधे सूर्यकुमार यादव के हाथों में चला गया। मैच पलट गया और अफ्रीका की एक और उम्मीद टूट गई।

साउथ अफ्रीका ने हटाया चोकर्स का टैग

2025 में दक्षिण अफ्रीका ने खुद को साबित किया। अब कोई उन्हें चोकर्स नहीं कहेगा। टेम्बा बावुमा की कप्तानी, मार्करम की जुझारू बल्लेबाज़ी और पूरी टीम का संघर्ष इस जीत के पीछे की असली ताकत थे। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी की नहीं, बल्कि सम्मान की थी। यह उन सभी अफ्रीकी खिलाड़ियों को समर्पित थी, जिन्होंने वर्षों तक आलोचना झेली, लेकिन उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।