Sector 36 Movie Review: विक्रांत मैसी का दिल दहला देने वाला अभिनय देख हिल जाओगे

Sector 36 Movie Review: विक्रांत मैसी की हाल में रिलीज हुई सेक्टर 36 फिल्म जबरदस्त सुर्खियां बटोर रही है। चारों ओर फिल्म की ही चर्चा हो रही है। फिल्म को 13 सितंबर 2024 को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया था। जिसे दर्शकों ने शानदार प्रतिक्रिया दी। फिल्म की कहानी हर किसी का दिल झांझोर कर रख देती है। जिसे कमजोर दिल वाले लोगों को ना देखने की सलाह दी जाती है। आईए जानते हैं आखिर विक्रांत मैसी की सेक्टर 36 फिल्म को लेकर इतनी चर्चा क्यों हो रही है और फिल्म की कहानी का वास्तविकता से क्या लेना देना है।

Sector 36 Movie Cast 

सेक्टर 36 फिल्म में विक्रांत मैसी ने प्रेम सिंह की भूमिका निभाई है. इनके अलावा दीपक डोबरियाल (इंस्पेक्टर राम चरण पांडे), इप्शिता चक्रवर्ती सिंह, आकाश खुराना, दर्शन जरीवाला (डिप्टी एसपी रस्तोग), बहरुल महादेव सिंह लखावत (कांस्टेबल बिश्नोई) और काचो अहमद (कंपाउंडर सी) जैसे कलाकार अहम किरदार में नजर आये है। फिल्म का डायरेक्शन आदित्य निंबालकर ने किया है. जबकि फिल्म की कहानी बोधायन रॉयचौधरी के दिमाग की उपज है।

Sector 36 Movie Review in Hindi

सेक्टर 36 एक क्राईम थ्रिलर फिल्म है। जिसको काफी बेहतरीन ढंग से फिल्माया गया है। शूटिंग लोकेशन और आसपास का वातावरण कहानी से शानदार तालमेल बिठाते है। जो दर्शकों को उस वातारण में होने का अनुभव कराते हैं। सड़कों पर चलते लोग, बच्चों की गलियों मे चहल-पहल और शहरी व्यस्त जीवन शैली का शानदार गठबंधन देखने को मिला। जो किसी वास्तविक माहौल की तरह लगता है। फिल्म में सरकारी सिस्टम की कमियां, साइकोपैथ प्रेम सिंह की मनोदशा और अमीरी-गरीबी की स्थिति को एक ही माला में पिरोने का काम किया गया है।

Sector 36 फिल्म की कहानी

फिल्म में विक्रांत ने एक सीरियल किलर की भूमिका निभाई है। जो बच्चों को बेरहमी से मौत के घाट उतारकर उनके शरीर को कोठी/घर के पीछे दफन कर देता है। कहानी की शुरूआत सेक्टर 36 से होती है। जहां विक्रांत मैसी का किरदार सोफे पर लेटे हुए टेलीविजन पर करोड़पति बनने वाला शो बड़े आराम से देख रहा होता है। शो खत्म होते ही विक्रांत यानी प्रेम सिंह उठता है।

और प्लेट में पड़ी हड्डियों को साफ करने लगता है। इसके बाद ऊपर के कमरे में जाकर पहले से बंधी हुई एक छोटी मासूम स्कूल की बच्ची की बेरहमी से हत्या कर देता है। यह सीन फिल्म के शुरुआती कुछ ही मिनटों में दिखाया जाता है। जो दर्शकों का तगड़ा ध्यान खींचता है। लेकिन यह सीन तो फिल्म का महज एक छोटा सा ट्रेलर था। इसके आगे की कहानी दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देती है।

सेक्टर 36 के आसपास की बस्तियों से लगातार बच्चों के गायब होने की शिकायतें मिल रही है। उनके माता-पिता और थाना प्रभारी राम चरन पांडे को लगता है, कि बच्चे गायब नहीं हो रहे। बल्कि वह खुद ही बस्ती छोड़कर भाग रहे हैं। मगर उसी शाम रामचरण पांडे की बेटी भी अपहरण होते-होते बचती है। जहां से रामचरण का जमीर जगाता है। और वह इस घटनाक्रम का खुलासा करने में जुट जाता है।

रामचरण को प्रेम सिंह पर शक होता है। मगर उसके बात करने के तरीके और कॉन्फिडेंस को देखकर वह उसे नजरअंदाज कर देता है। जो उसकी सबसे बड़ी भूल साबित होती है। फिल्म की कहानी काफी सस्पेंस और ग्लैमर से भरपूर है। जो लोगों के दिमाग से कई दिनों तक नहीं निकलने वाली।

कलाकारों का दमदार अभिनय

12वीं फैल में विक्रांत ने काफ़ी सकारात्मक किरदार निभाया था। जिसके चलते उन्हें लाखों लोग पसंद करने लगे। मगर आप भी 12वीं फेल वाले विक्रांत को दिमाग में बिठाकर सेक्टर 36 देखते हैं। तो आप निराशा ही होंगे। क्योंकि सेक्टर 36 में विक्रांत काफी नकारात्मक और भयानक साइको किलर की भूमिका में हर किसी की नफरत का कारण बनते हैं।

हालांकि इनके लिए ऐसा नकारात्मक किरदार करना कई चुनौतियों से भरा था। मगर फिर भी उनके जबरदस्त अभिनय की हर कोई सराहना कर रहा है। दूसरी ओर दीपक डोबरियाल ने भी पुलिस वाले की भूमिका में जान जोख दी है। फिल्म में हर एक कलाकर अपनी भूमिका के लिए एकदम फिट बैठता है। मानो वह उसी के लिए बना हो।

फिल्म की एडिटिंग, बैकग्राउंड, प्रोडक्शन वैल्यू और तकनीकी पक्ष भी काफी मजबूत है। फिल्म के हिंसक सीन और शहरी माहौल की चहल-पहल काफी बेहतरीन तरीके से फिल्माई गई है। हालांकि फिल्म की कहानी में थोड़ी बहुत रिसर्च की कमी नजर आई है। मगर कलाकारों के दमदार अभिनय ने यह कमी भी पूरी कर दी।

सेक्टर 36 फिल्म की सच्चाई

लोगों ने नेटफ्लिक्स पर सेक्टर 36 को देखकर काफी शानदार प्रतिक्रिया दी है। फिल्म हर एक नजरिया से काफी बेहतरीन मालूम पड़ती है। मगर दर्शकों को शिकायत है कि फिल्म को काल्पनिक कहानी का झांसा देकर दिखाया गया है।

साल 2006-07 में नोएडा के निठारी गांव में हुए सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे भारत देश को हिलाकर रख दिया था. सेक्टर 31 की एक कोठी के पीछे मिले करीब दो दर्जन बच्चों के कंकाल की खबर आग की तरह फैली थी। इस हत्याकांड में कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार भी किया था। मगर सालों तक केस चलने के बाद पिछले साल दोनों ही आरोपी सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए।

इस घटना के आधार पर ही सेक्टर 36 फिल्म को तैयार किया गया है। मगर कानूनी पचड़े से बचने के लिए फिल्म मेकर्स ने इसे महज एक काल्पनिक क्राइम थ्रिलर फिल्म बताकर पल्लू सीधा कर लिया है।

सेक्टर 36 फिल्म देखें या नहीं

सेक्टर 36 फिल्म में जमकर गालियों का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में अगर आप यह फिल्म परिवार के साथ बैठकर देखने की सोच रहे हैं, तो आपको अपना फैसला बदलने की जरूरत है। साथ ही फिल्म में निर्दयता के साथ हत्या के सीन दिखाए गए हैं। जो आपका मन विचलित कर सकते हैं। अगर आप इन सभी चीजों को लेकर बेफिक्र है, तो बेशक आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

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