Vicky Vidhya Ka Woh Wala Video Movie Review: राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी स्टारर फिल्म “विक्की विद्या का वो वाला वीडियो” फिल्म 11 अक्टूबर को सिनेमाघर में रिलीज कर दी गई है। दर्शकों की ओर से फिल्म को लेकर प्रतिक्रिया भी सामने आ चुकी है। कुछ लोगों को बेशक फिल्म अच्छी लगी। मगर ज्यादातर लोगों ने फिल्म को बेस्वाद बताया है। अगर आप भी फिल्म देखने की लालसा रखते हैं, तो अपनी जेब डीली करने से पहले फिल्म का रिव्यू अवश्य पढ़ें। वरना अन्य फैंस की तरह आपको भी निराशा हाथ लगेगी।
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विक्की विद्या का वो वाला वीडियो
पहली बार राजकुमार और तृप्ति डिमरी की जोड़ी एक साथ पर्दें पर नजर आई है। इनके अलावा मल्लिका शेरावत, विजय राज, अर्चना पूरन सिंह और शहनाज जैसे कलाकार अहम भूमिका में नजर आए है।
फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद दर्शकों ने काफी कुछ उम्मीदें जताई। मगर असल में फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। दर्शकों ने टिकट खरीदकर ठगा हुआ महसूस किया। आईए जानते हैं, फिल्म को लेकर दर्शकों की ओर से कैसी प्रतिक्रिया मिली है।
विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म कहानी
फिल्म की कहानी 90 के दशक के अनुसार तैयार की गई है। जिसमें एक नव-विवाहित जोड़ा विक्की और विद्या अपनी पहली सुहागरात को यादगार बनाने के लिए वीडियो की सीडी बनाते हैं। मगर उनके घर चोरी होती है और वीसीआर के साथ सीडी को भी चोर चुरा ले जाते हैं। इसके बाद दोनों की मुसीबतें बढ़ जाती है। फिल्म में यही सब कुछ दिखाया जाएगा।
विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म रिव्यू
फिल्म की कहानी तो काफी अच्छी मालूम पड़ती है। मगर फिल्म को सुपरनेचुरल, कॉमेडी और सस्पेंस थ्रिलर बनाने के चक्कर में इतना उलझा दिया की फिल्म काफी ज्यादा थकाऊ लगती है। फिल्म में CD गायब होने की घटना के साथ ही फिल्म का मूल केन्द्र भी सीडी की तरह गायब हो जाता है। और पात्र गोल-गोल घूमते हैं। और सिर्फ सीडी ढूंढने की कोशिश में ही काफी ज्यादा वक्त लगाया गया है।
फिल्म का कमज़ोर डायरेक्शन
फिल्म का पहला हाफ तो औसत रहा। मगर दूसरे हाफ में सीडी गायब हो जाती है। इसके साथी फिल्म की कहानी भी बिखर जाती है। फिल्म डायरेक्टर राज शांडिल्य ने फिल्म को ज्यादा मसालेदार बनाने के चक्कर में उसकी मूल अवधारणा को ही खत्म कर दिया। और फिल्म ऐसी लगती है जैसे खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।
किरदारों को जबरन खींचा गया
फिल्म के किरदार को काफी सिंपल और सदा रखने के बजाय घुमा-फिरा कर पेश किया है। विद्या को डॉक्टर की भूमिका में दिखाया गया है। जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता। दूसरी ओर चंदा की भी बैक स्टोरी कुछ समझ नहीं आती। उसे स्पष्ट करने की जरूरत थी। राजकुमार राव छोटे शहर के लड़कों का किरदार निभाने में काफी माहिर है। मगर इस फिल्म में उनको भी सुस्ती छा गईं। और फिल्म को देखने पर ऐसा लगता है, की कहानी को जबरन खींच जा रहा है।
फिल्म का दौर 90 के दशक का है। मगर फिल्म का वातावरण अपने दौर से बिल्कुल भी जुड़ा हुआ महसूस नहीं होता। हालांकि फिल्म के कुछ गाने अपने दौर से मेल खाते हैं। मगर दर्शकों का दिल जीतने के लिए उतना काफी नहीं है।
फिल्म में शहनाज का आइटम सॉन्ग जबरदस्ती ठूसा हुआ महसूस होता है। उनकी अदाएं भी दर्शकों को कुछ खास पसंद नहीं आई। असल में फिल्म को इस गाने की जरा भी जरूरत नहीं थी।
एडिटिंग और सिनेमैटोग्राफी
फिल्म को एडिटिंग टेबल पर 30 से 40 मिनट तक कम किया जा सकता था। मगर फिल्म मेकर्स ने इसे भी जरूरी नहीं समझा। दूसरी ओर फिल्म के सिनेमैटोग्राफी औसत लगते हैं। जिसका काम असीम मिश्रा ने किया है।
विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म देखनी चाहिए या नहीं
फिल्म की कहानी फर्स्ट हाफ तक पटरी पर चलती है। मगर दूसरे हाफ के शुरुआत से ही उलझी हुई लगती है। और फ़िल्म को बिना किसी मूल भाव के जबरन आगे बढ़ाया जाता है। जिसका कोई निचोड़ नहीं निकलता। ज्यादातर दर्शकों ने फिल्म देखकर नाराजकता जताई है। और फिल्म के ट्रेलर और फिल्म में रात दिन का अंतर बताया है।