इसरो का स्पेडेक्स मिशन सफल: भारत को मिली एक और ऐतिहासिक जीत, चंद्रयान-4 में सफलता की राह हुई और आसान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान इसरो ने SpaDeX Mission को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो स्पेडेक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रक्रिया करने की उपलब्धि हासिल करना चाहता था। इस मिशन की सफलता के बाद भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बना है, जिसने अंतरिक्ष में डॉकिंग करने की ताकत हासिल कर ली है। इसरो की यह बड़ी सफलता भारत के भविष्य अंतरिक्ष मिशनों की सफलता का निर्धारण करेगी। आइये जानते हैं इसरो का SpaDeX Mission क्या है? और इससे जुड़ी ताजा जानकारी।

ISRO SpaDeX Mission Success (इसरो का स्पेडेक्स मिशन सफल हुआ)

इसरो ने आज गुरुवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स मिशन) में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। जिसके बाद इसरो ने सोशल मीडिया के माध्यम से विश्व भर को इस नई उपलब्धि की जानकारी दी है। इससे पहले 12 जनवरी को अंतरिक्ष में इस मिशन का सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया था। अब यह मिशन अंतिम रूप से डॉकिंग परीक्षण में सफल हुआ है। जिसके तहत अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को आपस में जोड़ने का काम किया गया था।

क्या है इसरो का स्पेडेक्स मिशन

ISRO स्पेडेक्स मिशन के माध्यम से एक ऐसी टेक्नोलॉजी हासिल करना चाहता है, जिसके इस्तेमाल से अंतरिक्ष में दो या दो से अधिक उपग्रहों को आपस में जोड़ने, खामी सुधार करने और पेलोड स्थानांतरित करने जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। 

SpaDeX Mission के अंतर्गत इसरो द्वारा दो उपग्रह  SDX-01 (चेजर) और SDX-02 (टारगेट) 30 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेजे गए थे। करीब 15 मिनट के बाद इन 220 किलोग्राम वजनी छोटे उपग्रहों को एक निश्चित लक्ष्य के साथ अंतरिक्ष में 425 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया था।

इन दोनों उपग्रहों के बीच डॉकिंग प्रक्रिया कराई जानी थी। जिसके लिए पहले 7 जनवरी निर्धारित की गई। मगर तकनीकी कारणों के चलते 12 जनवरी को डॉकिंग ट्रायल किया गया और 16 जनवरी को अंतिम रूप से डॉकिंग करके इसरो ने इतिहास रच दिया। 

SpaDeX Mission से क्या फायदा होगा

SpaDeX Mission की सफलता भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत में भविष्य के सभी अंतरिक्ष मिशनों में डॉकिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी। चंद्रयान-4 मिशन के दौरान स्पेडेक्स टेक्नोलॉजी का काफी बड़ा रोल रहने वाला है। जिसमें चांद से नमूने जुताने से लेकर मिशन में आने वाली किसी भी खामी को ठीक करने में इसरो को बड़ी मदद मिलेगी।

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