स्टारलिंक अगले साल शुरू करेगी भारत में डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी, मोबाइल टावर और सिम कार्ड के बिना चलेगा इंटरनेट

एलन मस्क की स्टारलिंक कंपनी ने अपनी डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी को अगले साल भारत में लॉन्च करने की घोषणा कर दी है। इस नई टेक्नोलॉजी के आने से मोबाइल टावर की निर्भरता पूरी तरह से खत्म होने वाली है। यूजर बिना मोबाइल टावर या बिना सिम कार्ड के भी मैसेज भेजने से लेकर इंटरनेट ब्राउज़ करने तक की सभी सुविधाओं का बिना किसी रूकावट के इस्तेमाल कर सकेगा। यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह से सैटेलाइट कनेक्टिविटी के जरिए काम करेगी। आइए जानते हैं डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी क्या है? और यह टेलीकॉम बाजार में किस तरह परिवर्तन लाएगी।

स्टारलिंक ने पेश की डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी

एलन मस्क की स्टारलिंक कंपनी ने डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी का निजात किया है। जो 2025 में भारत में उपलब्ध करा दी जाएगी। यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह से सेटेलाइट तकनीकी पर काम करती है। जो पृथ्वी के चारों ओर पहले से चक्कर लगा रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी के आने से टेलीकॉम ऑपरेटर बाजार में बड़ा परिवर्तन आएगा और मोबाइल टावर की निर्भरता पूरी तरह से खत्म होने वाली है।

इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए यूजर को अपने डिवाइस में न ही कोई अतिरिक्त हार्डवेयर लगाने की जरूरत होगी और नहीं कोई सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने की। यानी हमारे मौजूदा डिवाइस ही डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी को पूरी तरह सपोर्ट करने के सक्षम है। हमारे डिवाइस इस तकनीकी से कैसे जुड़ेंगे? आइए इसको आसान स्टेप्स में समझते हैं।

डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है

मौजूदा समय में हम मोबाइल “मोबाइल टावर” पर निर्भर है। जहां मोबाइल टावर की पहुंच नहीं है, वहां मोबाइल की कई सुविधाएं अवरुद्ध हो जाती है। ऐसी स्थिति में यूजर मैसेज, कॉल या इंटरनेट जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाता। मगर डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी के आने से टावर का काम पूरी तरह से खत्म हो जाता है और हमारा डिवाइस सीधे रूप से सैटेलाइट से कनेक्ट हो जाता है।

वर्तमान में हमारे डिवाइस में नेटवर्क के पास LTE लिखा मिलता है। जो इस नई टेक्नोलॉजी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी और LTE यानी लॉन्ग टर्म इवॉल्यूशन का गहरा संबंध है। जो काम मौजूदा समय में मोबाइल टावर करते हैं, वह काम इस टेक्नोलॉजी के बाद LTE द्वारा किया जाएगा।

स्मार्टफोन को सैटेलाइट से जोड़ने के लिए एक खास प्रकार के डिवाइस की जरूरत पड़ती है। जिसे eNodeB कहते हैं। जो सैटेलाइट नेटवर्क से जुड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हार्डवेयर है। इसके बिना मोबाइल को सैटेलाइट से कनेक्ट नहीं किया जा सकता है। एक तरह से कह सकते हैं कि डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी के आने के बाद मोबाइल टावर्स की जगह eNodeB ले लेगा।

eNodeB क्या होता है

eNodeB एक मध्यम आकार का उपकरण होता है। जो अलमारी जैसे बॉक्स या पोल माउंटेड यूनिट में आता है। वजन में हल्का और आकार में छोटा होने के कारण इसे मोबाइल टावर की तुलना में आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है। इसे काफी ऊंचे सेल टावर्स पर लगाया जाता है। ताकि बड़े से बड़े क्षेत्र को आसानी से कवर कर सके और सैटेलाइट सुविधा मिल सके।

डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी के फायदे

  • डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी आने से उन्हें दूर दराज इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा मिल सकेगी। जहां मौजूदा समय में मोबाइल टावर्स से यह सुविधा नहीं पहुंच पाई है।
  • यूजर की मोबाइल टावर्स से निर्भरता पूरी तरह से खत्म होगी। जिससे टेलीकॉम ऑपरेटरों के खर्चे में भी कमी आएगी।
  • प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में पारंपरिक नेटवर्क तंत्र फेल हो जाने के कारण अधिक जान और माल की हानि होती है। मगर इस टेक्नोलॉजी के आने के बाद प्राकृतिक आपदाओं में असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • जो लोग अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं करते हैं। उन्हें कॉल और इंटरनेट के लिए अतिरिक्त रोमिंग रिचार्ज करने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि डायरेक्ट टू सेल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
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