Latest RBI Policy Updates: आज भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी (MPC) के दौरान कई अहम फैसले लिए हैं। जिनकी जानकारी देते हुए कहा है कि लगातार 11वीं बार रेपो रेट को यथावत रखा गया है। इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि CRR यानी कैश रिजर्व रेशियों को 4.5 फ़ीसदी से घटाकर 4 फीसदी किया गया है। इसके साथ ही किसानों के लिए कॉलेटरल फ्री लोन का दायरा बढ़ाया गया है। आइए मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक के दौरान किये गए (Latest RBI Policy Updates) बदलावों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी लेते हैं।
Latest RBI Policy Updates
6 दिसंबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की मुख्य भूमिका में मॉनेटरी पॉलिसी बैठक आयोजित की गई थी। इस दौरान रेपो रेट, सीआरआर और अन्य कई महत्वपूर्ण कारकों में संशोधन कर बदलाव किया गया है।
रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
लगातार 11वीं बार रेपो रेट को यथावत रखने का फैसला किया गया है। रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिसके आधार पर आरबीआई दूसरे बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट का भार बढ़ने पर बैंक इसे सीधे ही लोन लेने वाले ग्राहकों पर डाल देते हैं। जिसके चलते ग्राहकों को ज्यादा ब्याज दर पर लोन मिलता है। एमपीसी के बाद भी रेपो रेट 6.50% बरकरार रखा गया है। हालांकि इससे पहले ही एनालिटिक्स अनुमान जाता चुके थे, कि इस बार भी रेपो रेट में कोई खास बदलाव नहीं होने वाला।
किसानों को राहत
साल 2010 में आरबीआई ने किसानों को कृषि के लिए बिना किसी गारंटी के ₹1,00,000 तक का लोन देने की घोषणा की थी। जिसे 2019 में बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए किया गया था। आरबीआई ने बढ़ती महंगाई को मध्य नजर रखते हुए अब किसानों को राहत पहुंचाई है और बिना किसी गारंटी के किसानों को ₹2,00,000 तक का लोन देने की घोषणा की है। जिससे छोटे और सीमांत किसानों का दायरा बढ़ सकेगा और वह ज्यादा आर्थिक मजबूती के साथ स्थिर हो सकेंगे।
CRR को 4.5 से 4 फीसदी किया गया
CRR (कैश रिजर्व रेशियो) को 4.5% घटाकर अब 4% कर दिया गया है। जो बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला साबित होगा। CRR को चार फ़ीसदी करने के बाद बैंकों को कैश फ्लो की समस्या से छुटकारा मिलेगा। आखरी बार CRR में साल 2022 में बदलाव किया गया थ। यानी अब 24 महीनों बाद CRR में संशोधन हुआ है। जिसके बाद बैंकों में 1.60 लाख करोड़ अतिरिक्त कैश आएगा।
फूड इन्फ्लेशन में आएगी तेजी
आरबीआई गवर्नर का कहना है कि फूड इन्फ्लेशन में लगातार तेजी आ रही है। अगली तिमाही में यह और भी बढ़ सकती है। मगर वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में फूड इन्फ्लेशन में कमी होगी। महंगाई बढ़ने के चलते कंज्यूमर्स की डिपॉजिट आय पर सीधे रूप से असर पड़ता है।
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के दौरान की गई घोषणा के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में महंगाई लगभग 4.8 प्रतिशत तक रहने वाली है। जो मार्च 2025 तिमाही में 4.5% जबकि दिसंबर तिमाही में महंगाई 5.7% तक बढ़ सकती है। हालांकि वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-जून तिमाही में महंगाई दर 4.6% और जुलाई-सितंबर तिमाही में 4% पर बरकरार रहेगी। इसके साथ बाजार का जोखिम भी संतुलित रहेगा।
स्टॉक बाजार ने तेजी दिखाई
पॉलिसी रेट्स की घोषणा के जवाब में शेयर बाजार ने भी हल्की तेजी दिखाई है। आज निफ्टी 50 ग्रीन कैंडल के साथ खुला है। हालांकि अंतिम समय में मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ है। फंडामेंटल रिसर्च हेड नरेंद्र सोलंकी का कहना है कि निवेशकों ने दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती न होने की स्थिति को पहले ही भाप लिया था। जिसके चलते पिछले 1 महीने में शेयर बाजार ने तेजी दिखाई है। और निफ्टी 50 ने लगभग 0.79 का प्रतिशत का पलटवार किया है।