Film Corporate Booking: बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की कालाबाजारी

Film Corporate Booking: इंडियन सिनेमा में किसी भी फिल्म के लिए सफलता का प्रतीक उसके द्वारा की जाने वाली कमाई मानी जाती है। फिल्म की कमाई का आंकड़ा जितना ज्यादा होगा, फिल्म उतनी ही ज्यादा सफल मानी जाएगी। मगर कई बार फिल्म की कमाई जबरन खींची जाती है। किसी भी फिल्म की कमाई ज्यादा बताने या बेहतर ओपनिंग साबित करने के लिए Film Corporate Booking का सहारा लिया जाता है।

फिल्म कॉर्पोरेट बुकिंग इंडियन सिनेमा का एक काला गोरख धंधा है। जो 90 के दशक से ही अपनाया जा रहा है। फिल्म की ओपनिंग और कलेक्शन को बड़ा चढ़ाकर दिखाने के लिए कॉर्पोरेट बुकिंग की जाती है। आईए जानते हैं, कॉर्पोरेट बुकिंग क्या है? और कॉर्पोरेट बुकिंग कौन और क्यों करता है?

What is Film Corporate Booking? (फिल्म कॉर्पोरेट बुकिंग क्या है)

कॉर्पोरेट बुकिंग का आसान शब्दों में अर्थ है, किसी भी फिल्म या शो के भारी संख्या में टिकट बुक करना। यानि एक साथ सैकड़ो टिकट बुकिंग करने की प्रक्रिया कॉर्पोरेट बुकिंग कहलाती है। अक्सर किसी भी हीरो के फैन क्लब कॉर्पोरेट बुकिंग को अंजाम देते हैं। इसके अलावा कई बड़ी कंपनियां अपने एम्पलाइज को किसी फिल्म का टिकट उनकी परफॉमेंस या त्यौहार पर रिवॉर्ड के रूप में भी देती है। बड़ी संख्या में किसी भी फिल्म के टिकट बुकिंग के कारण हाउसफुल हो जाते हैं। जो फिल्म के लिए एक सकारात्मक संकेत होता है।

कॉर्पोरेट बुकिंग क्यों की जाती है? (Why do we make Film corporate bookings?)

कॉर्पोरेट बुकिंग करने के पीछे कई उद्देश्य हो सकते हैं। जैसे किसी कंपनी का अपने एम्पलाइज को किसी फिल्म का टिकट रिवॉर्ड के रूप में देना एक आम कॉर्पोरेट बुकिंग कि श्रेणी में आता है। इसमें कंपनी को फिल्म से कोई खास लेना देना नहीं होता। उनका उद्देश्य सिर्फ एम्पलाइज को रिवॉर्ड देना है। जबकि किसी फैन क्लब द्वारा सिर्फ फिल्म की परफॉर्मेंस को प्रभावित करने और फेक हाइप बनाने के लिए भी कॉर्पोरेट बुकिंग की जाती है। ऐसा अक्सर फिल्म मेकर्स भी करवाते हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का फिल्म की ओर ध्यान आकर्षित कर सके। 

कॉर्पोरेट बुकिंग सही है या गलत?

कॉर्पोरेट बुकिंग सही है या गलत। इसका निर्णय बुकिंग के पीछे के उद्देश्य को जानने के बाद ही किया जा सकता है। जैसे कई बड़े इंस्टिट्यूट और कंपनियां जब अपने एम्पलाइज को किसी फिल्म या शो का टिकट देती है, तो इसके पीछे फिल्म की परफॉर्मेंस को प्रभावित करने का कोई खास उद्देश्य नहीं होता। 

जबकि फिल्म मेकर्स और डायरेक्टर अपनी फिल्म की तगड़ी ओपनिंग दिखाने के उद्देश्य से अपने फैन क्लब के माध्यम से कॉर्पोरेट बुकिंग करते हैं, तो यह दर्शकों के लिए नुकसानदायक साबित होगी। एक साथ भारी संख्या में फिल्म के टिकट बुकिंग करने के कारण हाउसफुल हो जाते हैं। जो फिल्म की मार्केटिंग स्ट्रेटजी का एक हिस्सा होती है। हाउसफुल देखकर लोगों को फिल्म देखने की जिज्ञासा होने लगती है। जो उन्हें सिनेमाघर तक पहुंचा देती है। मगर वास्तव में फिल्म उतनी बेहतर नहीं होती। जितनी उनको उम्मीद होती है। ओवरऑल दर्शकों के विश्वास के साथ खिलवाड़ किया जाता है। 

कॉर्पोरेट बुकिंग से होने वाले नुकसान

  • कई बार Film Corporate Booking में इतनी भारी संख्या में टिकटों की बुकिंग कर ली जाती है, जीतने कि दर्शक नहीं होते। ऐसे में टिकट तो बुक हो चुके होते हैं, मगर सिनेमा हॉल एकदम खाली नजर आते हैं। जो कहीं ना कहीं एक बड़ा नुकसान है। 
  • फेक हाइप और जबरन खींचे गए कमाई के आंकड़े आम लोगों के समझा के बाहर है। मगर वह फिल्म की पापुलैरिटी और फेक कमाई के आंकड़ों को देखकर फिल्म देखने सिनेमा हॉल पहुंच जाते हैं। 
  • ब्लैक मनी को वाइट मनी में कन्वर्ट करने के लिए भी Film Corporate Booking एक बड़ा जरिया बनती है।
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