स्वाति भार्गव को कैसे आया CashKaro बिजनेस आईडिया, कंपनी की सालाना कमाई जानकर हैरान रह जाओगे

जब भी देश में सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर और बिजनेस वूमेन की बात की जाती है, तो स्वाति भार्गव का नाम जरुर लिया जाता है। स्वाति भार्गव ने अपने हस्बैंड के साथ मिलकर देश के सबसे बड़े एफिलिएटेड प्लेटफार्म “कैशकरो” की शुरुआत की थी। जिसका आज सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। कैशकरो की सफलता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है, की सबसे बड़े बिजनेस टाइकून रतन टाटा ने भी इसमें निवेश किया था। आइए जानते हैं स्वाति भार्गव कौन है? और कैशकरो की शुरुआत कैसे हुई?

कौन हैं स्वाति भार्गव

स्वाति भार्गव एक सफल एंटरप्रेन्योर और एक बिजनेस वूमेन है। जिन्हें हम “कैश करो” कि को-फाउंडर के रूप में भी जानते हैं। स्वाति भार्गव को साल 2019 में “फॉर्चून 40 अंडर 40” में की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। इन्हें इंडियाज फर्स्ट डिजिटल वूमेन होने का भी अवार्ड मिला है। स्वाति आज देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है। आइए जानते हैं  “CashKaro” की शुरुआत कैसे हुई?

कैशकरो की शुरुआत

स्वाति पढ़ने में काफी तेज थी। इन्होंने 10th क्लास में हरियाणा राज्य से टॉप किया था और गणित विषय में 100 में से 100 नंबर मिले थे। जिसके चलते इन्हें स्कॉलरशिप मिली और इन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई सिंगापुर से करना चुना। स्वाति ने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र और गणित विषय में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। 2009 में स्वामी ने रोहन भार्गव के साथ शादी की। जो कैशकरो के सह- फाउंडर है।

हनीमून ट्रिप पर आया कैशकरो का आईडिया

कपल के इंटरव्यू के मुताबिक दोनों जब हनीमून पर जा रहे थे, तो उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में फ्लाइट बुकिंग की। उन्होंने यह फ्लाइट तृतीय पक्ष वेबसाइट से की थी। जिसके चलते उन्हें एक अच्छा डिस्काउंट मिला। यहीं से उन्हें CashKaro बिजनेस आइडिया मिला।

स्वाति और रोहन भार्गव ने मिलकर एक कैशबैक और कूपन वेबसाइट बनाने की ठान ली। दोनों ने UK में Pouring Pounds नाम से एक वेबसाइट शुरू की। जिससे उन्हें यह समझ आ गया कि यह एक सफल स्टार्टअप बन सकता है। 

इस दौरान तक स्वाति और रोहन GoldMan Sachs नाम की कंपनी में नौकरी कर रहे थे। मगर इन्होंने रिस्क उठाकर साल 2013 में नौकरी छोड़ी और अपनी कैशबैक कंपनी को भारत में कैशकरो नाम से लॉन्च किया।

CashKaro नाम के पीछे की वजह

इस कैशबैक और कूपन कंपनी का नाम कैशकरो रोहन ने सुझाया है। दरअसल रोहन चाहते थे, कि यह एक ऐसा नाम हो, जो भारतीयों की जुबान पर आसानी से चढ़ जाए। जिसका पहला अक्षर “Cash” शहरी जबकि “Karo” हिंदी शब्द गांव के लोगों की भाषा शैली को टच करता है।

रतन टाटा ने किया था CashKaro में निवेश

साल 2013 से 2016 तक CashKaro ने अपनी जड़े मजबूत कर ली और तगड़ा यूजरबेस भी बना लिया था। पहले राउंड में Cashkaro.com ने साल 2015 में कलारी कैपिटल से लगभग 25 करोड रुपए का फंड जुटाया था। जिसका इस्तेमाल स्टार्टअप की मार्केटिंग और अन्य खर्चो के लिए किया गया। साल 2016 में Cashkaro.com में बिजनेस टाइकून रतन टाटा ने भी तगड़ा निवेश किया। जिसके बाद Cashkaro.com ने तगड़ी प्रसिद्धि पाई। हालांकि इस बात का खुलासा नहीं हुआ, कि रतन टाटा जी ने कैशकरो में कितना निवेश किया था। आगे चलकर साल 2020 में भी कंपनी ने लगभग 75 करोड़ की फंडिंग उठाई और अपना विस्तार किया। 2024 के मुताबिक कंपनी की कुल वैल्यूएशन लगभग 500 करोड़ से अधिक आकी जा रही है।

CashKaro का बिजनेस मॉडल

कैशकरो एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो लगभग 1100 से ज्यादा शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स के साथ पार्टनरशिप कर चुका है। जिसमें सबसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफार्म अमेजॉन, मिंत्रा और फ्लिपकार्ट का नाम प्राथमिक रूप से शामिल है। जब भी हम ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो हमें कोई कैशबैक या डिस्काउंट शायद ही मिलता हो। मगर कैश करो प्लेटफार्म हमें गारंटेड कैशबैक और डिस्काउंट देने का वादा करता है।

जब भी हम कैशकरो के जरिए किसी भी पार्टनर वेबसाइट से खरीदारी करते हैं, तो वह पार्टनर वेबसाइट भी कैश करो को प्रति ट्रांजैक्शन कमीशन देती है। कमीशन का एक बड़ा हिस्सा CashKaro हमें यानी ग्राहकों को कैशबैक या डिस्काउंट के रूप में देता है और कुछ हिस्सा अपने पास रखता है। जो उसका प्रॉफिट होता है।

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